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आंध्र प्रदेश: एक्टर-मॉडल कादम्बरी जेठवानी के उत्पीड़न का मामला, तीन IPS ऑफिसर सस्पेंड

आंध्र प्रदेश सरकार ने जेठवानी मामले में तीन आईपीएस अधिकारियों, पीएसआर अंजनयुलु, कांथी राणा टाटा, और विशाल गुनी, को निलंबित कर दिया है. जांच में खुलासा हुआ कि ये अधिकारी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता के साथ मिलकर जेठवानी का उत्पीड़न कर रहे थे.

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एक्ट्रेस कादम्बरी जेठवानी
एक्ट्रेस कादम्बरी जेठवानी

आंध्र प्रदेश सरकार ने कादम्बरी जेठवानी मामले में तीन आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. निलंबित अधिकारियों में पूर्व खुफिया प्रमुख पीएसआर अंजनयुलु, कांथी राणा टाटा और विशाल गुनी शामिल हैं. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने निलंबन आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं.

राज्य सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, निलंबन गोपनीय रखा गया है. यह आदेश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की रिपोर्ट के आधार पर जारी किए गए हैं. इससे पहले, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसीपी) हनुमंथराव और इब्राहिमपटनम सर्कल इंस्पेक्टर (सीआई) सत्यनारायण को भी इसी मामले में निलंबित किया गया था.

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फिल्म निर्माता केवीआर विद्यसागर के साथ मिलीभगत का आरोप

कादम्बरी जेठवानी ने अगस्त महीने में एनटीआर पुलिस कमिश्नर एसवी राजशेखर बाबू के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने अधिकारियों पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता और फिल्म निर्माता केवीआर विद्यसागर के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था.

विद्यसागर ने फरवरी में उनके खिलाफ जालसाजी और उगाही का मामला दर्ज कराया था. जेठवानी ने आरोप लगाया कि उच्च पुलिस अधिकारी विद्यसागर के साथ मिलकर उन्हें और उनके माता-पिता को परेशान करने की साजिश रच रहे थे, और उन्हें मुंबई से विजयवाड़ा पहले बिना किसी जानकारी के ले जाया गया.

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परिवार का 40 दिनों तक हिरासत में बीता

मुंबई में रहने वाली जेठवानी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें और उनके बुजुर्ग माता-पिता को अपमानित किया और अवैध रूप से हिरासत में रखा, जिससे उनका परिवार ने 40 दिनों से अधिक का समय न्यायिक हिरासत में बिताया.

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जांच में खुलासा हुआ कि अंजनयुलु ने अन्य दो अधिकारियों को महिला को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था, और ये कि तब तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई थी. एफआईआर 2 फरवरी को दर्ज की गई, जबकि महिला की गिरफ्तारी के लिए निर्देश कथित रूप से 31 जनवरी को ही जारी कर दिए गए थे.

ये तीनों अधिकारी उन 16 आईपीएस कर्मियों में शामिल थे, जिन्हें पहले एक मेमो जारी कर बिना किसी आधिकारिक पोस्टिंग के दिन में दो बार पुलिस महानिदेशक कार्यालय में रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था.

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