कौशल घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को रेगुलर बेल मिल गई है. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को उन्हें जमानत दे दी है. बता दें कि इससे पहले नायडू की जमानत पर 31 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी, जिसमें उन्हें 28 नवंबर तक सशर्त जमानत दी गई थी. रेगुलर बेल मिलने के बाद अब पूर्व सीएम को मेडिकल आधार पर मिली एक महीने की जमानत खत्म होने के बाद जेल नहीं जाना पड़ेगा.
चंद्रबाबू नायडू को जमानत मिलने के बाद टीडीपी की तरफ से बयान आया है. उन्होंने कहा है कि एक बार फिर साबित हुआ है कि पूर्व सीएम पर वाईएसआरसीपी ने लगातार गलत आरोप लगाए हैं. पार्टी की तरफ से कहा गया कि अदालत के निर्देश से पता चलता है कि 28 नवंबर को उन्हें राजमुंदरी जेल जाने की जरूरत नहीं है. अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि याचिकाकर्ता तेलुगु देशम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालते हैं. उन्हें अंतरिम जमानत के दौरान बयान देने या राय व्यक्त करने के लिए मीडिया या सोशल मीडिया से प्रतिबंधित करना मौलिक अधिकारों को प्रभावित करेगा. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है.
टीडीपी ने जारी किया बयान
नायडू की जमानत के बाद टीडीपी ने कहा है कि सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी ने एन. चंद्रबाबू नायडू को लगातार जांच के दायरे में रखने और उन्हें अपराधी करार देने के कई प्रयास किए, लेकिन आखिर कार वे विफल रहे. इससे पता चलता है कि वाईएसआरसीपी, टीडीपी से किस तरह डरी हुई है. टीडीपी ने नायडू को जमानत देने के हाई कोर्ट के फैसले को वाईएसआरसीपी के लिए करारा तमाचा करार दिया.
कैंप में की गई थी मेडिकल जांच
बता दें कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के मामले में हुई थी. उन्हें मेडिकल जांच के लिए एयरलिफ्ट कर नंद्याल अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन उनके इनकार करने के बाद कैंप में उनकी मेडिकल जांच की गई थी.
इस मामले में हुई गिरफ्तारी
चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाले में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है, जिसमें 250 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला करने का आरोप है. पुलिस अधिकारियों ने चंद्रबाबू नायडू के अधिवक्ताओं को कौशल विकास मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी एफआईआर प्रति और अन्य आदेशों का विवरण प्रदान किया है. हालांकि, चंद्रबाबू नायडू और उनके अधिवक्ताओं ने जांच अधिकारियों से प्रथम दृष्टया साक्ष्य प्रदान करने का अनुरोध किया, यह बताते हुए कि उनके नाम का उल्लेख एफआईआर रिपोर्ट में नहीं किया गया था.