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चंद्रबाबू नायडू की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची आंध्र प्रदेश सरकार

हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग करते हुए, राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी (नायडू) एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उनके दो प्रमुख सहयोगी (एक सरकारी कर्मचारी सहित) पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. इसमें कहा गया कि आरोपी स्पष्ट रूप से जांच में बाधा डाल रहा है और इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

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चंद्रबाबू नायडू-फाइल फोटो
चंद्रबाबू नायडू-फाइल फोटो

आंध्र प्रदेश सरकार ने कौशल विकास निगम घोटाला मामले में टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को नियमित जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग करते हुए, राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी (नायडू) एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उनके दो प्रमुख सहयोगी (एक सरकारी कर्मचारी सहित) पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. इसमें कहा गया कि आरोपी स्पष्ट रूप से जांच में बाधा डाल रहा है और इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

20 नवंबर को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने नायडू को जमानत दे दी थी और कहा था कि जमानत देने के विवेक का प्रयोग मानवीय और दयालु तरीके से विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए.

राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने 39 पन्नों के फैसले में न केवल एक "मिनी ट्रायल" किया है, बल्कि "पूरी तरह से गलती" की है, जिससे ऐसे निष्कर्ष निकले हैं जो रिकॉर्ड के पूरी तरह से विपरीत हैं.

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वकील महफूज अहसन नाज़की के माध्यम से दायर अपील में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश राज्य अमरावती में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित 20 नवंबर, 2023 के फैसले के खिलाफ वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए बाध्य है. इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय ने एक जमानत मामले में तथ्यों की गहराई से जांच की है और ऐसे निष्कर्ष दिए हैं जो न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बल्कि मुकदमे के दौरान निचली अदालत पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की भी संभावना है.

शीर्ष अदालत के विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि जमानत आदेशों में साक्ष्यों के विस्तृत विवरण की प्रथा की इस अदालत द्वारा बार-बार निंदा की गई है.

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