आज देश में लोग पूछ रहे हैं कि भारत ने अभी तक पाकिस्तान से पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला क्यों नहीं लिया है. अगर आज सरकार की भाषा में कहें तो भारत बदला लेगा और जरूर लेगा. लेकिन आज हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि इस बदले में इतनी देरी क्यों हो रही है? क्या ये देरी तैयारियों की वजह से है और क्या भारत ने अभी तक कुछ भी नहीं किया है? हकीकत ये है कि अब तक भारत बिना हथियार चलाए पाकिस्तान के पसीने छुड़ा चुका है. हर मोर्चे पर घिर चुका पाकिस्तान बिना मार के रो रहा है. अब बस युद्ध का सायरन बजने ही वाला है और भारत ने अपने नागरिकों को भी युद्ध के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है. सबसे पहले बात उस सवाल की जिसका जवाब इस वक्त देश के 140 करोड़ लोग जानना चाहते हैं और वो सवाल है कि पाकिस्तान से बदला लेने में इतना वक्त क्यों लग रहा है?
पहलगाम अटैक को पूरे दो हफ्ते हो गए हैं. आज 14वां दिन है. इन 14 दिनों में सिर्फ बैठकें हुई हैं. बड़ी-बड़ी बैठकें, डिप्लोमेटिक एक्शन हुए हैं. पाकिस्तान का पानी रोकने पर एक्शन हुआ. पाकिस्तान का पैसा बंद करने पर भी बात हो रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि 26 निर्दोष लोगों के हत्यारे पर सीधा हमला कब होगा. भारत पाकिस्तान पर कब अटैक करेगा. भारत की सेना लाहौर, इस्लामाबाद का रुख कब करेगी. इंडियन एयरफोर्स के जेट पाकिस्तान मिलिट्री के इंस्टॉलेशन को निशाना कब बनाएंगे. ये देश की मंशा है. देश यही चाहता है लेकिन ये कब होगा, ये कोई नहीं जानता.
जनता को चाहिए बस बदला
इस वक्त तो फिलहाल बस देश में एक ही नैरेटिव चल रहा है कि जनता बदला चाहती है. देशवासियों का ये गुस्सा जायज भी है क्योंकि आतंकवादियों ने बहुत बड़ी चुनौती दी है. धर्म पूछ-पूछकर गोली मारी है इसीलिए हर कोई ये चाहता है कि इस बार कार्रवाई ऐसी हो ताकि पाकिस्तान के आंतकवादियों की नहीं बल्कि उनकी फौज की भी सात पुश्तें याद करें. देशवासी इसलिए भी अधीर हो रहे हैं क्योंकि पिछली दोनों बार यानी कि सर्जिकल और एयर स्ट्राइक में इस वक्त तक स्ट्राइक हो चुकी थी इसीलिए ये इंतजार किया जा रहा है कि पाकिस्तान पर इस बार की स्ट्राइक कब होगी.
पिछली बार नहीं लगा था इतना समय
18 सितंबर 2016 को उरी अटैक हुआ था. भारतीय सेना ने 10 दिनों के बाद 28 सितंबर 2016 को PoK में सर्जिकल स्ट्राइक कर दी थी. सरहद पार सेना ने 38 आतंकवादी और 2 पाकिस्तानी सैनिकों को सर्जिकल स्ट्राइक में मार गिराया था. इसी तरह से 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा अटैक हुआ था. 12 दिन के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर दी थी. आतंकवादियों के कैंप ध्वस्त कर दिए थे.
'ऐसा एक्शन होगा कि पाकिस्तान याद रखेगा'
यही वजह है कि सवाल उठ रहे हैं कि अबकी बार तो वक्त बहुत ज्यादा हो गया है. सेना की तरफ से स्ट्राइक कब होगी. जानकार मान रहे हैं कि अगर इस बार ज्यादा वक्त लिया जा रहा है तो इसका मतलब ये है कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से बड़ा कुछ होने वाला है. इस बार पाकिस्तान ने वो गुनाह किया है कि उसकी सजा किसी स्ट्राइक से तय नहीं होगी बल्कि कोई बहुत बड़ा एक्शन होने वाला है लेकिन वो एक्शन होगा क्या और वो एक्शन होगा कब यही तो तय होना है क्योंकि एक्शन तो होना है. सरकार की तरफ से लगातार यही कहा जा रहा है कि पहलगाम का बदला लिया जाएगा और ऐसा लिया जाएगा कि पाकिस्तान याद रखेगा.
युद्ध के लिए चाहिए धैर्य
सरकार तो साफ कह रही है कि बदला तो होकर रहेगा लेकिन बस थोड़ा धैर्य बनाकर रखना होगा और ऐसा नहीं है कि सरकार ने कुछ किया नहीं है. लेकिन युद्ध के लिए बहुत कुछ सोचकर चलना पड़ता है. सेना को हर तरह की तैयारी करनी पड़ती है. सेना अगर युद्ध की तैयारी करेगी तो फिर वो जीतने के लिए होगी, हारने के लिए नहीं. सेना अगर युद्ध की तैयारी करेगी तो हर एंगल को ध्यान में रखेगी, वर्स्ट केस सिनेरियो लेकर चलेगी. पाकिस्तान के साथ वर्स्ट केस सिनेरियो ये हो सकता है कि युद्ध आरपार का होगा और फिर ऑप्शन न्यूक्लियर वॉर का भी है. युद्ध की स्थिति में सेना को हर फ्रंट देखना होगा.
युद्ध अगर होगा तो सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही नहीं होगा इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी होगा यानी कि हम राजस्थान और गुजरात की भी बात कर रहे हैं. ये भी सोचना होगा कि अगर युद्ध हुआ तो इंटरनेशनल खेमेबंदी कैसी होगी यानी कि कौन सा देश किसे सपोर्ट करेगा. पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए कौन आएगा. इस वक्त पूरी दुनिया में पाकिस्तान का साथ चीन देता है, तो ये भी देखना होगा कि अगर युद्ध हुआ तो क्या चीन भारत पर हमला कर सकता है. ये सब बातें आपको इसलिए बता रहे हैं ताकि आप ये समझ सकें कि ये सारे फैक्टर देखने के बाद ही भारत कोई कार्रवाई करेगा.
अभी से घुटनों पर आया पाकिस्तान
वैसे भी तो पाकिस्तान बिना कार्रवाई के ही अलग थलग पड़ गया है. पाकिस्तान को हर तरफ से मजबूर कर दिया है. असली युद्ध की जीत तो वही मानी जाती है, जो बिना लड़े ही मिल जाती है. पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द किया गया, वाघा-अटारी बॉर्डर बंद कर दिया गया, पाकिस्तान के लिए एयरस्पेस की पाबंदी लगा दी गई, पाकिस्तान हाई कमीशन से मिलिट्री एडवायजर हटा दिए, पाकिस्तानी जहाज भारतीय बंदरगाहों पर नहीं आ सकते. पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा कैंसिल कर दिया गया. पाकिस्तानी मीडिया, यूट्यूब चैनल बैन किए गए, पाकिस्तानी नेता, क्रिकेटर और एक्टर के ट्विटर और इंस्टाग्राम अकाउंट ब्लॉक कर दिए गए. अब भारत एशियन डेवेलपमेंट बैंक से मिलने वाली पाकिस्तान की फंडिंग रोकने की भी कोशिश कर रहा है.
इतनी कार्रवाई तो भारत की तरफ से हुई है. बस बड़ी कार्रवाई के तौर पर कोई मिलिट्री एक्शन नहीं हुआ है. ये बात सही है कि देश को मिलिट्री एक्शन की ही दरकार है और देश मिलिट्री एक्शन ही चाहता है और इसकी तैयारियां भी शुरू हैं. जैसे कल पंजाब के फिरोजपुर में एक ब्लैक आउट ड्रिल की गई. रात को नौ से साढ़े नौ के बीच फिरोजपुर कैंट एरिया व सीमावर्ती गांवों में लाइट बंद कर दी गई थी. ये ड्रिल भी इसीलिए हुई ताकि कल को हमले की स्थिति में रात को लाइटें बंद रहें ताकि अगर पाकिस्तान कोई हमला करे तो उसे रात के अंधेरे में कुछ दिखे नहीं और अब ऐसी ही ड्रिल पूरे देश में होने वाली हैं.
गृह मंत्रालय ने दिया मॉक ड्रिल का आदेश
गृह मंत्रालय की तरफ से राज्यों को 7 मई को मॉक ड्रिल करने को कहा गया है. राज्यों को कहा गया है कि वो सिविल डिफेंस की तैयारी करें, एयर रेड वॉर्निंग सायरन का इस्तेमाल करें. कल को अगर कोई संभावित हमला हो तो छात्रों और बाकी नागरिकों की इस बात की ट्रेनिंग हो कि बचना कैसे है. पूरे शहर या गांव को ब्लैक आउट कैसे करना है, ये भी प्रैक्टिस करनी है. इसके अलावा बड़े-बड़े इंस्टॉलेशन पर कैमोफ्लाजिंग कैसे करनी है यानी कि उनका ऐसा रंग हो जाए कि वो पहचाने ना जाएं, तो इसकी भी प्रैक्टिस करनी है.
वर्स्ट केस सिनेरियो के लिए तैयार सेना
ये सब वर्स्ट केस सिनेरियो है. सेना को हर तरह की तैयारी करनी होती है और सेना यही कर रही है. फिलहाल तो भारत की डिप्लोमेसी से और इन बाकी रणनीतियों से ही पाकिस्तान इतना घबराया हुआ है कि वो अपने बिरादर मुल्कों के पास घूम रहा है और सोच रहा है कि कहीं से कोई जुगाड़ लगाकर भारत को हमले से रोक दे. बौखलाए हुए पाकिस्तान को ये समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्या करे.
आसिम मुनीर की कोई जानकारी ही नहीं मिल पा रही थी कि वो कहां है. कल पाकिस्तान ने एक प्रोपेगैंडा वीडियो जारी किया है जिसमें दावा किया गया है कि आसिम मुनीर LOC पर गए हैं और वहां से वो अपने फौजियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. पाकिस्तान की तरफ से बाकायदा आसिम मुनीर का ऑडियो बयान जारी किया गया है जिसमें वो अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए अंग्रेजी में भाषण दे रहे हैं.
54 साल पहले का किस्सा
जो लोग अधीर हो रहे हैं, जो लोग सवाल उठा रहे हैं, जो ये पूछ रहे हैं कि मोदी क्या कर रहे हैं. भारत अभी तक पाकिस्तान पर हमला क्यों नहीं कर रहा है. जरा उन्हें आज से 54 साल पहले की एक कहानी बताते हैं. साल था 1971, पाकिस्तान के सैनिकों ने ईस्ट पाकिस्तान में जुल्म करने शुरू कर दिए थे. पाकिस्तानी सैनिक वहां जुल्मो-सितम की इंतेहा कर रहे थे और बांग्लादेश से हजारों की तादाद में रिफ्यूजी भारत आ रहे थे. पाकिस्तानी सेना के जुल्मों से तंग आकर बांग्लादेशी अपना घर छोड़कर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम में शरण ले रहे थे. शरणार्थियों का ये बड़ा संकट बन गया था. इंदिरा गांधी पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही दबाव थे. पाकिस्तान पर कार्रवाई का दबाव बन रहा था.
इसीलिए इंदिरा गांधी ने एक दिन तत्कालीन आर्मी चीफ फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को बुलाया. इंदिरा चाहती थीं कि पाकिस्तान पर तुरंत हमला हो जाए लेकिन सैम मानेकशॉ ने युद्ध से इनकार कर दिया क्योंकि एक सैनिक युद्ध हारने के लिए नहीं जीतने के लिए लड़ता है इसीलिए सैम मानेकशॉ ने ये सुनिश्चित किया कि जब भारत की सेना युद्ध में उतरे तो जीत भारत की ही हो.
इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ को अप्रैल 1971 में युद्ध के लिए कहा था लेकिन मानेकशॉ ने कहा कि ना उनकी सेना तैयार है और ना ही मौसम अनुकूल है. पाकिस्तान के साथ आर-पार के युद्ध के लिए उन्हें समय चाहिए. जब सेना तैयार हो गई, मौसम भी ठीक हो गया तब दिसंबर में भारत ने आर-पार का युद्ध कर दिया और विजय सुनिश्चित की.
पीएम मोदी ने दे दी है सेना को खुली छूट
सोचिये 1971 में भी भारतीय सेना को युद्ध की तैयारी करने और फिर पाकिस्तान पर हमला करने में 7 से 8 महीने का वक्त लग गया था. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि अभी भी इतना ही वक्त लगेगा लेकिन हमें सेना की तैयारियों को सेना पर ही छोड़ देना चाहिए.
एक राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर प्रधानमंत्री ने तो सेनाओं को खुली छूट दे दी है. उन्हें ये बता दिया है कि सरकार क्या चाहती है. अब वो कैसे करना है, कब करना है, कितना करना है, ये सबकुछ सेना तय करेगी इसीलिए सेना पर दबाव बनाने की जरूरत नहीं है.