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Air Pollution से निपटने पर केंद्र का फोकस, एयर प्यूरीफायर के भ्रामक विज्ञापनों पर लगेगा लगाम

दिल्ली समेत बड़े शहरों में प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. इस बीच केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इन शहरों में लगे एयर प्यूरीफायर का मार्केट सर्विलांस किया जाए और यह पता लगाया जाए कि आखिर कंपनियां जो अपने प्रोडक्ट्स बेचने के लिए विज्ञापन करती हैं, वो कितना सही है.

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एयर प्यूरीफायर
एयर प्यूरीफायर

दिल्ली समेत बड़े शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार अपनी तैयारियों में जुटी है. प्रदूषण को कम करने के लिए लगाए गए एयर प्यूरीफायर का मार्केट सर्विलांस किया जाएगा और यह पता लगाया जाएगा कि मशीने ठीक से काम कर रही हैं. यह कदम एयर प्यूरीफायर बनाने वाली कंपनियों के गलत दावे के खिलाफ केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के आरोपों के बाद उठया गया है.

उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम मार्केट सर्विलांस के जरिए कंपनियों के दावों का सत्यापन करेंगे. भारत मानक ब्यूरो (BIS) ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और ब्यूरो ने एयर प्यूरीफायर पर मौजूदा क्वालिटी कंट्रोल के आदेशों का पालन हो रहा है, या नहीं इसकी जांच की जाएगी.

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भ्रामक दावों के साथ कंपनियां करती हैं विज्ञापन

मसलन, कंपनियां अक्सर भ्रामक विज्ञापनों के जरिए अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करती हैं, जबकि प्रोडक्ट्स में क्वालिटी नहीं पाई जाती. इस मामले पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने वर्ल्ड स्टैंडर्ड्स डे इवेंट में बात भी की थी और मिसलीडिंग विज्ञापनों पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था, "एयर प्यूरीफायर बनाने वाली कंपनियां गलत दावे करती हैं और हम देखते हैं कि कितना कुछ लिखा होता है, लेकिन उसमें कुछ नहीं होता. उसमें मात्र एक फैन लगा होता है, फिर भी दावे किए जाते हैं.

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प्रदूषण बढ़ने के बीच सर्विलांस अहम

प्रह्लाद जोशी ने इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए BIS, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और उपभोक्ताओं के बीच सहयोग की शुरुआत करने की बात कही थी. इस पहल का समय अहम है क्योंकि भारतीय शहरों में बढ़ते प्रदूषण स्तर ने एयर प्यूरीफायर की डिमांड बढ़ाई है और ऐसे में कंपनियां अक्सर भ्रामक दावों के साथ अपने प्रोडक्ट्स के विज्ञापन करती हैं.

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भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना मकसद

इस कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि उपभोक्ताओं को अच्छी क्वालिटी के एयर प्यूरीफायर मिल सकें और यह सुनिश्चित करने की कोशिश होगी कि कंपनियां भ्रामक दावों के साथ अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन करने पर रोक लगाएं. एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि इस तरह की जांच से क्वालिटी कंट्रोल को बेहतर किया जा सकता है और कंपनियों के गलत दावे करने पर लगाम लगाई जा सकती है.
 

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