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चमोली त्रासदी: LAC जाने की सड़कें और पुल भी बहे, दूसरे रूट से पहुंच सकेगी सेना

बाराहोती, चमोली जिले में 80 किमी स्क्वायर का एक क्षेत्र है जो चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से जुड़ा हुआ है, ये उत्तराखंड की राजधानी से 400 किमी दूर है.

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सेना टूटी सड़कों को दोबारा तैयार कर रही है (फाइल फोटो)
सेना टूटी सड़कों को दोबारा तैयार कर रही है (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाराहोती क्षेत्र पहुंचने के लिए मौजूद है दूसरा रूट
  • चीन से सटा क्षेत्र है उत्तराखंड का बाराहोती एरिया
  • बेहद संवेदनशील इलाका माना जाता है
  • टूटे पुलों और सड़कों पर किया जा रहा है काम

उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के बाद भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थित उत्तराखंड के बाराहोती क्षेत्र के लिए भारतीय सेना की पहुंच अभी खत्म नहीं हुई है. हालांकि कुछ सड़कें और ब्रिज हाल ही में आई आपदा और बाढ़ के कारण बह गए हैं, लेकिन अभी भी भारतीय सेना की बाराहोती क्षेत्र के लिए पहुंच बनी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि एक दूसरे रूट के माध्यम से अभी भी यातायात बना हुआ है. आपको बता दें कि बाराहोती, चीनी सीमा से लगे सेंट्रल सेक्टर का हिस्सा है जो बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है.

एक आधिकारिक सूत्र ने आजतक को बताया कि ''बाढ़ के कारण चमोली का काफी हिस्सा प्रभावित हुआ है, कई ब्रिज भी इस बाढ़ में बह गए हैं. सूत्र ने बताया कि 'ब्रिज और सड़कों को दोबारा से सही करने का काम किया जा रहा है. जल्दी ही ब्रिज और सड़कों का काम पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन तब तक बाराहोती जाने के लिए दूसरा रूट मौजूद है.''

बाराहोती, चमोली जिले में 80 स्क्वायर किमी का एक क्षेत्र है जो चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से जुड़ा हुआ है, ये उत्तराखंड राज्य की राजधानी से 400 किमी दूर है. और जोशीमठ में स्थित ब्रिगेड के मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.

1958 में, भारत और चीन ने बाराहोती को एक विवादित क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध कर दिया गया था, जहां कोई भी पक्ष अपने सैनिकों को नहीं भेज सकता था. 1962 के युद्ध में भी चीनी सेना पीएलए ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों सहित सेंट्रल सेक्टर में प्रवेश नहीं किया था, वे पश्चिमी (लद्दाख) और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश) क्षेत्रों में ही सक्रिय रहे थे.

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अधिकारियों ने बताया कि आर्मी के इंफ्रास्ट्रक्चर और बाकी चीजों को बाढ़ से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. आपको बता दें कि बाराहोती में पिछली सबसे बड़ी घटना डोकलाम तनाव के दौरान साल 2017 में ही हुई थी, जब चीन ने भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय चरवाहों को बाहर जाने के लिए कहा था. इससे दोनों देशों के बीच काफी तनाव बढ़ा था.

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