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CJI के लिए क्या है प्रोटोकॉल? महाराष्ट्र दौरे पर क्यों नाराज हुए मुख्य न्यायाधीश गवई, बाद में पहुंचे चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर

देश के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने अपने हालिया महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन ना होने पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त का उनकी अगवानी में उपस्थित ना होना गंभीर विषय है. सीजेआई गवई ने न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका के बीच परस्पर सम्मान पर जोर दिया है.

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मुंबई में महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित राज्य वकीलों के सम्मेलन के दौरान भूषण रामकृष्ण गवई. (फोटो: पीटीआई)
मुंबई में महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित राज्य वकीलों के सम्मेलन के दौरान भूषण रामकृष्ण गवई. (फोटो: पीटीआई)

सु्प्रीम कोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने रविवार को महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जब वे मुंबई पहुंचे तो महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे. हालांकि, सीजेआई की टिप्पणी के कुछ घंटे बाद दूसरे कार्यक्रम में तीनों अधिकारियों की मौजूदगी देखी गई.

सीजेआई गवई ने महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा उनके सम्मान में आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा, लोकतंत्र के तीन स्तंभ न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच आपसी सम्मान बेहद महत्वपूर्ण है.

'अफसरों को विचार करना चाहिए'

सीजेआई गवई ने कहा, जब महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति देश का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार महाराष्ट्र आता है तो अगर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस कमिश्नर यह उचित नहीं समझते कि वे उपस्थित रहें तो उन्हें इस पर विचार करना चाहिए.

'यह सम्मान का प्रतीक'

उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल कोई साधारण औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक निकायों के बीच सम्मान का प्रतीक है. सीजेआई ने कहा, प्रोटोकॉल कोई नई चीज नहीं है. यह एक संवैधानिक निकाय द्वारा दूसरे को दिए जाने वाले सम्मान का सवाल है. सीजेआई गवई ने कहा, जब किसी संवैधानिक संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य का दौरा करता है तो उसके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.

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'छोटी बातों में नहीं उलझना चाहते'

सीजेआई गवई ने कहा कि वो इस तरह की छोटी बातों में नहीं उलझना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसे सार्वजनिक रूप से बताने की जरूरत महसूस हुई ताकि लोग इसके बारे में जानें. 

'तो अनुच्छेद 142 की चर्चा होने लगती'

उन्होंने आगे हल्के फुल्के अंदाज में कहा, अगर मेरी जगह कोई और होता तो अनुच्छेद 142 के बारे में चर्चा होने लगती. ये छोटी-छोटी बातें लग सकती हैं, लेकिन लोगों को इनके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

टिप्पणी के बाद पहुंचे अधिकारी

सीजेआई की टिप्पणी के कुछ घंटे बाद तीनों शीर्ष अधिकारियों की उस समय मौजूदगी देखी गई, जब वे  दादर में चैत्यभूमि पहुंचे और डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी. यहां मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती की मौजूदगी देखी गई.

सीजेआई गवई ने कहा, सीजेआई बनने के बाद मैं पहली बार चैत्यभूमि आया हूं. मैं यहां डॉ. अंबेडकर का आशीर्वाद लेने आया हूं. मैं प्रोटोकॉल को लेकर ज्यादा परेशान नहीं हूं. मैंने बस इसका जिक्र किया है.

अनुच्छेद 142 का क्या महत्व?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को न्यायिक कार्यवाही में पूर्ण न्याय देने के लिए जरूरी आदेश जारी करने का अधिकार देता है. इसके तहत न्यायालय को व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने का भी अधिकार है.

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52वें सीजेआई बने जस्टिस गवई

जस्टिस बीआर गवई ने 14 मई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला है. शीर्ष न्यायिक पद पर काबिज होने वाले वे पहले बौद्ध और दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI हैं. सीजेआई गवई महाराष्ट्र से हैं. 64 वर्षीय गवई ने 65 वर्षीय जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है. 

जब CJI ने बार एसोसिएशन पर जताई नाराजगी!

इससे पहले सीजेआई बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उस निर्णय की भी निंदा की थी, जिसमें जस्टिस बेला त्रिवेदी को औपचारिक विदाई नहीं दी गई. सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीशों के बीच भिन्नता होने के बावजूद सम्मान में कमी नहीं होनी चाहिए.

सीजेआई ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जस्टिस त्रिवेदी जैसी कुशल जज को बार एसोसिएशन से उचित विदाई नहीं मिली. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल की तारीफ की और आभार जताया. सीजेआई ने कहा कि उनकी (सिब्बल) उपस्थिति जस्टिस त्रिवेदी के प्रति आदर को दर्शाती है.

सीजेआई ने यह भी कहा कि जस्टिस त्रिवेदी और वकीलों के बीच भले ही मतभेद रहे हों, लेकिन इस आधार पर सम्मान से वंचित करना उचित नहीं है. अलग-अलग प्रकार के जज होते हैं, लेकिन यह सम्मान देने में बाधा नहीं बनना चाहिए.

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CJI के लिए क्या होता है प्रोटोकॉल?

CJI जब किसी राज्य का दौरा कर रहे हों, तब उनकी अगवानी और स्वागत से लेकर ठहरने तक प्रोटोकॉल का पालन करना होता है. राज्य के प्रमुख अधिकारी मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और संबंधित अफसरों को अगवानी के लिए उपस्थित होना चाहिए. राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी स्वागत समारोह में उपस्थित हो सकते हैं.

CJI को एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक सुरक्षा घेरा सुनिश्चित किया जाता है. राज्य सरकार की ओर से वीआईपी गेस्ट हाउस की व्यवस्था की जाती है. यदि CJI किसी न्यायिक या विधायी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं तो राज्य के प्रमुख न्यायिक अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहते हैं. न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन और आपसी सम्मान बनाए रखने के लिए प्रोटोकॉल का पालन जरूरी माना जाता है.

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