राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद इन दिनों महाराष्ट्र की महायुति सरकार की कार्यशैली को लेकर खासा नाराज है. वीएचपी महाराष्ट्र सरकार के वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये की धनराशि का अनुदान देने के निर्णय का विरोध कर रहा है. वीएचपी का कहना है कि सरकार ने वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा करते हुए अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 2 करोड़ रुपये दे दिए हैं.
वीएचपी के कोंकण डिवीजन सचिव मोहन सालेकर ने इंडिया टुडे को बताया कि वे वक्फ बोर्ड को धन आवंटित करने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महायुति सरकार वह कर रही है जो कांग्रेस सरकार ने भी नहीं किया. सरकार धार्मिक समुदाय का तुष्टिकरण कर रही है. अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो महायुति पार्टियों को स्थानीय निकायों और विधानसभा के आगामी चुनावों में हिंदुओं के क्रोध का सामना करना पड़ेगा.
वीएचपी के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा, वे विरोध कर सकते हैं. उन्हें किसने रोका है. वही इस सरकार को लाए हैं.
समुदाय की बेहतरी के लिए खर्च होगा धन
वहीं, इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मुफ्ती मंजूर जियाई ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, हमें खुशी है कि सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वक्फ बोर्ड को आवंटित धन का 20 प्रतिशत देने की मंजूरी दे दी है. इस राशि का उपयोग अब समुदाय की बेहतरी के लिए किया जा सकता है. इस फैसले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव से पहले ही इस उद्देश्य के लिए धन निर्धारित कर दिया गया था.
क्या है मामला
इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है. अल्पसंख्यक विकास विभाग के 10 जून के प्रस्ताव के अनुसार, वक्फ बोर्ड को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 10 करोड़ रुपये के बजट से 2 करोड़ रुपये मिलेंगे. ये सर्कुलर महाराष्ट्र सरकार में उप सचिव मोइन तहसीलदार ने जारी किया है. ये अनुदान साल 2007 में गठित वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति सिफारिश पर दी गई है.
बता दें कि इस समिति ने महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों के कामकाज का निरीक्षण किया था और इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बोर्ड को अनुदान देने का वादा किया था, जिसके बाद बजट आवंटन किया गया है.