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महाराष्ट्र: स्कूलों में हिंदी अनिवार्यता पर घमासान, उद्धव ठाकरे बोले- यह भाषाई आपातकाल

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर समर्थन जाहिर किया है. उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शिक्षकों के बीच फूट डालने का प्रयास है.

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उद्धव ठाकरे ने स्कूलों में हिंदी अनिवार्यता का विरोध किया (फाइल फोटो)
उद्धव ठाकरे ने स्कूलों में हिंदी अनिवार्यता का विरोध किया (फाइल फोटो)

विपक्ष की क्षेत्रीय पार्टियां स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने के विरोध में खुलकर सामने आ रही हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर समर्थन जाहिर किया है. उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शिक्षकों के बीच फूट डालने का प्रयास है.

उद्धव ठाकरे ने कहा, "यह मुद्दा पांच मिनट में खत्म हो सकता है, अगर मुख्यमंत्री यह घोषणा करें कि वे अपने राज्य में हिंदी थोपने की नीति लागू नहीं करेंगे. उन्हें इसके लिए कोई प्रस्तुति देने की जरूरत नहीं है. यह नीति लोगों में जहर घोलने और उन्हें बांटने के लिए है. हम हिंदी भाषा के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जबरन हिंदी थोपे जाने के खिलाफ हैं."

इसे अलग प्रकार की इमरजेंसी करार दिया

उन्होंने इसे एक अलग प्रकार की इमरजेंसी बताते हुए कहा, "यह एक भाषाई आपातकाल है. हम इसका विरोध करेंगे. साथ ही यह समय है कि शिवसेना में जो गद्दार बैठे हैं, उन्हें यह बताया जाए कि बा बालासाहेब ठाकरे के विचार क्या थे मराठी में. हम किसी प्रकार की जबरदस्ती स्वीकार नहीं करेंगे. ना मतलब ना. हिंदी नहीं सीखने का मतलब यह नहीं कि हम हिंदी नहीं जानते." 

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ठाकरे ने आगे कहा कि हमारा देश एक संघीय व्यवस्था है, और हमारी संरचना भाषाओं के आधार पर तय हुई है. जब मैं मुख्यमंत्री था, मुझे मराठी भाषा को जबरन लागू करना पड़ा था क्योंकि ये लोग मराठी पर अतिक्रमण कर रहे थे. मैंने दुकानों के साइनबोर्ड मराठी में अनिवार्य किए थे. व्यवसाय में मराठी का उपयोग हो, इसके लिए मैंने कड़ा रुख अपनाया, जबकि कुछ लोग इसके खिलाफ कोर्ट भी गए थे.

हम हिंदी के विरोध में नहीं: ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे हिंदी भाषा के विरोध में नहीं हैं. उन्होंने कहा, "अगर भाषा का विरोध होता, तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री मुंबई में जन्म नहीं लेती. मुंबई और महाराष्ट्र ने इस इंडस्ट्री को पोषित किया है. चाहे अमिताभ बच्चन हों या अन्य हिंदी कलाकार और गायक, वे सब मुंबई आने के बाद ही पले-बढ़े हैं. हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर हिंदी को अनिवार्य किया जा रहा है, तो क्या इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा है? क्या यह ‘एक दिशा, एक विचारधारा, एक भाषा’ की ओर बढ़ने की कोशिश है? नड्डा ने भी कहा था कि अगर देश में एक ही पार्टी रहेगी, तो यह तानाशाही की ओर बढ़ेगा. यही बीजेपी कर रही है.”

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शिवसेना (उद्धव गुट) ने हिंदी अनिवार्यता के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन किया है. प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक पवार ने बताया कि 29 जून को सरकार द्वारा हिंदी अनिवार्य करने संबंधी जीआर की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया जाएगा. इसके अलावा 7 जुलाई को, जब विधानसभा सत्र चलेगा, उस दौरान आजाद मैदान में बड़ा प्रदर्शन होगा, जिसमें उद्धव ठाकरे के शामिल होने की संभावना है.

राज ठाकरे भी जारी रखेंगे विरोध

स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने राज ठाकरे से मुलाकात की. दोनों के बीच लगभग आधे घंटे तक बातचीत हुई. हालांकि, राज ठाकरे अपने पुराने रुख पर कायम हैं. तीन भाषा फॉर्मूले के तहत स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी को लागू किया जा रहा है, जिसका राज ठाकरे विरोध कर रहे हैं. भुसे की कोशिश थी कि राज ठाकरे को इस विरोध से हटाया जाए, लेकिन मुलाकात के बाद भुसे ने स्पष्ट किया कि राज ठाकरे अपने स्टैंड पर अडिग हैं.

राज ठाकरे ने सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि हिंदी थोपने के खिलाफ 6 जुलाई को सुबह 10 बजे एक मोर्चा निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को इस मोर्चे में शामिल होना चाहिए. यह मोर्चा रविवार को आयोजित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें भाग ले सकें. अब राज ठाकरे ‘त्रिभाषा फॉर्मूले’ के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरते दिखाई देंगे.

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उन्होंने कहा, "अगर भुसे मुझसे मिलना चाहते हैं, तो आजाद मैदान में मिलें. हिंदी थोपना भाषाई आपातकाल है.”

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