सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग के इकाई को निर्देश दिया है कि अगले चार सप्ताह में प्रदेश में ग्राम पंचायत और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा करें. कोर्ट ने चुनावों में कहा है कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को वही आरक्षण मिलेगा जो कि 2022 की रिपोर्ट से पहले था. कोर्ट ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए समय पर चुनावों की आवश्यकता पर जोर दिया.
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र में ओबीसी को आरक्षण देना स्थानीय चुनाव के संदर्भ में विवादों का केंद्र बन गया है. 2022 में एक छह सदस्यीय आयोग की ओर से एक रिपोर्ट पेश इस मुद्दे पर पेश की गई थी, जिससे यह और जटील बन गया. यह रिपोर्ट अब अदालत में चुनौती का विषय बना हुआ है, जिसकी वजह से राजनीतिक हलचल तेज हो गई.
इसके अलावा, ओबीसी आरक्षण के सामाजिक और कानूनी पहलुओं की गहन जांच के लिए एक अलग आयोग बनाए जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोकतंत्र में समय पर चुनाव होना बेहद ही जरूरी है. लोकतंत्र की मजबूती के लिए स्थानीय निकाय चुनाव समय पर होना महत्वपूर्ण है. चुनाव को देरी या टालने से लोकतंत्र को नुकसान होता है. पहले चुनाव कराएं, फिर बाकी मुद्दों पर बाद में विचार किया जाएगा.
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चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर चुनावों की अधिसूचना जारी की जानी चाहिए. चार महीनों के अंदर चुनाव प्रक्रिया को पूरी कोशिश की जानी चाहिए. अगर चुनाव आयोग को और समय की जरूरत पड़ती है तो वह समय बढ़ाने की मांग कर सकता है.