महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत तेज हो गई है. इसी बीच NCP (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने साफ किया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के नेताओं को पार्टी में शामिल करने का फैसला सोच समझकर लिया जाएगा. यह कोई सामान्य फैसला नहीं होगा.
राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ एनसीपी के कई नेताओं के उनकी पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बारे में एक कार्यक्रम में पूछे गए सवाल के जवाब में शरद पवार ने कहा कि ऐसे लोगों का स्वागत करने में कोई समस्या नहीं है, जिनके आने से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. हालांकि शरद पवार ने कहा कि एनसीपी (एसपी) में शामिल होने के साथ कुछ शर्तें भी होंगी.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक शरद पवार ने जोर देकर कहा कि पार्टी में रहने वालों और इससे बहुत कुछ पाने वालों के बारे में पार्टी सहयोगियों की राय ली जाएगी. शरद पवार ने इस बात पर भी जोर दिया कि जिलों के पार्टी नेताओं की राय को उस क्षेत्र से नेताओं को शामिल करने के फैसला से पहले ध्यान में रखा जाएगा. ऐसे नेताओं की भूमिका और योगदान को भी पार्टी में उनकी वापसी को मंजूरी देने से पहले ध्यान में रखा जाएगा.
शरद पवार एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री सूर्यकांत पाटिल एनसीपी (एसपी) में शामिल हुए. पाटिल 2014 में अविभाजित एनसीपी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और अब वे पार्टी में वापस आ गए हैं.
एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि विधानसभा के आगामी मानसून सत्र के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाले संगठन के 18 से 19 विधायक उनके पाले में आ जाएंगे. विधानसभा का मानसून सत्र 27 जून से शुरू होगा और 12 जुलाई को समाप्त होगा. राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह आखिरी सत्र होगा.
बता दें कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार 8 अन्य विधायकों के साथ शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिसके कारण 1999 में स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया था और अधिकांश विधायक शरद पवार का साथ छोड़ गए थे. हालांकि, अटकलें लगाई जा रही हैं कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में NCP की करारी हार के बाद अजित पवार खेमे के कई नेता पाला बदलना चाहते हैं.
भाजपा और शिवसेना की सहयोगी एनसीपी ने सत्तारूढ़ गठबंधन में महाराष्ट्र में 4 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल एक पर जीत हासिल की. एनसीपी पुणे की बारामती सीट पर भी चुनाव हार गई थी. जहां अजित पवार की पत्नी उसकी उम्मीदवार थीं. दूसरी ओर विपक्षी महा विकास अघाड़ी के घटक शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और 8 पर जीत हासिल की थी. अविभाजित एनसीपी ने 2019 के चुनावों में 54 विधानसभा सीटें जीती थीं, जब जुलाई 2023 में पार्टी विभाजित हुई, तो अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने लगभग 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था.