pahalgam attack news aajtak: मुंबई के परेल स्थित सेंट्रल रेलवे वर्कशॉप के वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर अतुल मोने की मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान चली गई. उन्होंने दो महीने पहले कश्मीर यात्रा की योजना बनाई थी और उनके रिश्तेदार हेमंत जोशी और संजय लेले के परिवार भी उनके साथ यात्रा पर गए थे. अतुल मोने, संजय लेले और हेमंत जोशी को आतंकवादियों ने गोली मार दी, उनका धर्म पूछा और फिर उनके सिर और पीठ में गोली मार दी. इस खबर ने उनके सहकर्मियों और दोस्तों को सदमे में डाल दिया है. 43 वर्षीय मोने ठाणे जिले के डोंबिवली निवासी थे और परिवार व दोस्तों के साथ कश्मीर घूमने गए थे. मंगलवार शाम करीब 5.30 बजे टीवी पर जब हमले की खबर चली, तो उनके साथ काम करने वाले राजेश नादर ने चिंतित होकर उन्हें कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. थोड़ी देर बाद मोने की मौत की पुष्टि होते ही पूरे वर्कशॉप में मातम छा गया.
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वर्कशॉप में गमगीन हुआ माहौल
मोने के शोक-संतप्त सहकर्मियों के पास अब केवल एक प्रतिभाशाली और मिलनसार व्यक्ति की अच्छी यादें ही बची हैं. परेल स्थित सेंट्रल रेलवे के ब्रिटिशकालीन वर्कशॉप में बुधवार को माहौल गमगीन था, जहां अन्य दिनों में भी चहल-पहल रहती थी. बुधवार को मोने के सहकर्मियों और अन्य कर्मचारियों ने उनकी असामयिक मौत पर शोक जताया.
वर्कशॉप के मेन एंट्री गेट के पास एक मेज पर फूलों से सजी मोने की तस्वीर रखी गई थी, जो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रखी गई थी. रेलवे कर्मचारी यूनियनों ने आतंकी हमले की निंदा करने और मोने को श्रद्धांजलि देने के लिए आसपास के इलाकों में बोर्ड लगाए.
एक सप्ताह के दौरे पर वीकेंड में कश्मीर गए थे
थाने जिले के डोंबिवली के निवासी मोने (43) यहां रेलवे वर्कशॉप की व्हील शॉप में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के तौर पर काम करते थे. वे अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ एक सप्ताह के दौरे पर वीकेंड में कश्मीर गए थे. उनके सहकर्मी राजेश नादर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्हें मंगलवार शाम करीब 5.30 बजे पहलगाम आतंकी हमले के बारे में पता चला, लेकिन उन्हें कभी नहीं लगा कि मोने भी पीड़ितों में से एक होंगे.
रात 8 बजे किया व्हाट्सएप कॉल
मोने का पता जानने के लिए नादर ने रात करीब 8 बजे उन्हें व्हाट्सएप कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, जिससे वह चिंतित हो गए. उन्होंने कहा, 'उस समय मैं उसके बारे में थोड़ा चिंतित हो गया था और उसके बाद 30 मिनट के भीतर टीवी चैनलों पर खबर आ गई.' उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें मोने की मौत की जानकारी मिली और इस दुखद घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया.
नादर ने कहा, 'वह एक अच्छा इंसान और प्रतिभाशाली इंजीनियर था. वह एक शांत और मिलनसार व्यक्ति भी था.' उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उसके सहकर्मी की ऐसी दुखद मौत होगी.
रेलवे वर्कशॉप में एक अन्य इंजीनियर दीपक कैपथ ने कहा कि वह मोने के साथ पिछले नौ सालों से काम कर रहा था, जब से 2016 में उनके 30 इंजीनियरों के बैच को पदोन्नति मिली थी.
मौत की खबर सुनकर हम न तो खा पाए और न ही सो पाए
कैपथ ने कहा, 'मोने की मौत की खबर सुनकर हम न तो खा पाए और न ही सो पाए. हम रोज मिलते थे, एक-दूसरे से बात करते थे, साथ में खाना खाते थे और अचानक मौत ने उसे हमसे दूर कर दिया. यह अभी भी अविश्वसनीय है.' मोने के एक अन्य सहयोगी भूषण गायकवाड़ ने बताया कि उन दोनों की आखिरी बातचीत 14 अप्रैल को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती के अवसर पर हुई थी.
'रेलवे ने एक बेहतरीन इंजीनियर खो दिया'
गायकवाड़ ने कहा, 'रेलवे ने एक बेहतरीन इंजीनियर खो दिया है, क्योंकि वह काम में बहुत अच्छे थे और व्हील शॉप में अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करते थे, जहां उनका काम रेलवे के पहियों के समय पर पहुंचने और उनके भेजे जाने पर नजर रखना था.' एक अन्य सहयोगी नितिन पाटिल ने बताया कि सोमवार रात को मोने से उनकी व्हाट्सएप पर बातचीत हुई थी, जब मोने ने उन्हें कश्मीर दौरे के बारे में बताया था. मोने ने गोवा यात्रा के बारे में पाटिल का व्हाट्सएप स्टेटस देखा था.
डोंबिवली के पड़ोसी कल्याण शहर के निवासी पाटिल ने कहा, 'जब मुझे उनके निधन के बारे में पता चला तो मैं स्तब्ध रह गया.' उन्होंने बताया कि वे दोनों अक्सर काम से घर वापस आने के लिए साथ-साथ यात्रा करते थे.