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फर्जी लैंड डील्स, 85 करोड़ का गबन और धमकी... मुंबई में लोधा डेवलपर्स का पूर्व निदेशक गिरफ्तार

यह गिरफ्तारी NM जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज उस FIR के बाद हुई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि लोधा, उनके बेटे साहिल, और उनके कई सहयोगियों ने सितंबर 2013 से अगस्त 2025 के बीच धोखाधड़ी वाले जमीन सौदों, कम कीमत पर लेनदेन और फर्जी अधिग्रहणों के जरिए कंपनी से 85 करोड़ रुपये से अधिक की रकम गबन की.

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FIR में कुल 9 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें राजेंद्र और साहिल लोधा शामिल हैं. (File Photo-ITG)
FIR में कुल 9 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें राजेंद्र और साहिल लोधा शामिल हैं. (File Photo-ITG)

मुंबई पुलिस की प्रॉपर्टी सेल ने बुधवार को लोधा डेवलपर्स लिमिटेड (LDL) के पूर्व निदेशक और कंपनी के सीईओ अभिषेक मंगल प्रभात लोधा के दूर के रिश्तेदार राजेंद्र लोधा को बहु-करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया. उन्हें मुंबई की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 23 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

यह गिरफ्तारी NM जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज उस FIR के बाद हुई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि लोधा, उनके बेटे साहिल, और उनके कई सहयोगियों ने सितंबर 2013 से अगस्त 2025 के बीच धोखाधड़ी वाले जमीन सौदों, कम कीमत पर लेनदेन और फर्जी अधिग्रहणों के जरिए कंपनी से 85 करोड़ रुपये से अधिक की रकम गबन की.

FIR के अनुसार, लोधा ने यह भी धमकी दी थी कि अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई तो वे सीईओ अभिषेक लोधा को नुकसान पहुंचाएंगे. इस धमकी ने कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में तनाव और बढ़ा दिया.

पुलिस का कहना है कि लोधा, जो ठाणे, कल्याण और पनवेल में ज़मीन अधिग्रहण का काम देखते थे, ने अपने पद का दुरुपयोग करके ऐसे लेनदेन किए जिनसे उन्हें और उनके सहयोगियों को फायदा हुआ. यह घोटाला तब उजागर हुआ जब कंपनी की आंतरिक ऑडिट में संदिग्ध सौदे सामने आए. इसके बाद कंपनी ने आंतरिक जांच शुरू की. लोधा ने अपने संपत्ति और निवेश का खुलासा करने से इनकार करने के बाद निदेशक और प्रमोटर पद से इस्तीफ़ा दे दिया.

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FIR में दर्ज प्रमुख धोखाधड़ी के मामले-

फर्जी जमीन अधिग्रहण (3.03 करोड़ रुपये): पनवेल की ज़मीन के लिए एमओयू साइन हुआ लेकिन खरीद नहीं हुई. रकम उस फ्लैट में एडजस्ट कर दी गई जो पहले ही विक्रेता ने बुक किया था.

पहले खरीदी गई ज़मीन की दोबारा बिक्री (2.65 करोड़ रुपये): 2013 में खरीदी गई ज़मीन को अवैध तरीके से ट्रांसफर कर दोबारा लोधा डेवलपर्स को 2.65 करोड़ रुपये में बेचा गया.

कंपनी की ज़मीन को कम कीमत पर बेचना (27 करोड़ रुपये का नुकसान): अंबरनाथ की 1.46 एकड़ जमीन केवल 88 लाख रुपये में बेची गई, जबकि उसकी असली कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक थी. बाद में सरकार ने उसे 10.88 करोड़ रुपये में अधिग्रहित किया.

उषा एंटरप्राइजेज डील (10 करोड़ रुपये का नुकसान): 10 करोड़ से अधिक की ज़मीन 48 लाख रुपये में उषा एंटरप्राइजेज को बेची गई, जो कथित तौर पर राजेंद्र और साहिल लोधा से जुड़ी बेनामी कंपनी है. इसमें 17 करोड़ रुपये नकद और बैंक ट्रांसफर के माध्यम से घुमाए गए.

NBP एडुटेक इंफ्राटेक डील (6.25 करोड़ रुपये का नुकसान): कम से कम 9 करोड़ की ज़मीन केवल 2.75 करोड़ रुपये में उस कंपनी को बेची गई, जिसमें साहिल लोधा संस्थापक साझेदार थे.

TDR का अवमूल्यन: 7.15 लाख वर्गफुट ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (TDR) बाजार भाव से कम से कम 30% कम दर पर 35 सौदों में बेचे गए. अंतर की राशि नकद में ली गई.

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दलाल को फर्जी भुगतान: 2 करोड़ रुपये एक कथित दलाल को दिए गए, जो बाद में नकद में राजेंद्र लोधा को वापस पहुँचा दिए गए.

FIR में 9 आरोपी नामजद

FIR में कुल 9 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें राजेंद्र और साहिल लोधा शामिल हैं. उन पर IPC की धाराओं 406 (आपराधिक न्यास का उल्लंघन), 409, 420 (धोखाधड़ी), 120B (आपराधिक साजिश) धारा 34 के साथ तथा भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की प्रासंगिक धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

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