मुंबई ऑटो रिक्शा चालकों की यूनियन ने अंधेरी स्थित RTO में ई-बाइक टैक्सी सेवाओं को मंजूरी देने के सरकार के फैसले के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. राज्य मंत्रिमंडल ने हाल ही में राज्य में ई-बाइक टैक्सियों को अनुमति देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. ई-बाइक टैक्सियां अधिकतम 15 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं. इससे राज्यभर में लगभग 20 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा. साथ ही बाइक चालक और पीछे बैठने वाले के लिए हेलमेट अनिवार्य होगा.
ऑटो रिक्शा-टैक्सी यूनियन के प्रमुख शशांक राव ने कहा कि सरकार ने इस फैसले से पहले यूनियनों से कोई बातचीत नहीं की. राज्य सरकार ने ई-बाइक टैक्सी सेवा को एकतरफा अनुमति दे दी. अगर यह सेवा शुरू होती है तो महाराष्ट्र के 15 लाख ऑटो रिक्शा चालकों की रोज़गार पर संकट आ जाएगा. उनके परिवार भूखे मरने की नौबत में आ जाएंगे.
कोविड के समय से अब तक संघर्ष
शशांक राव ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान रिक्शा व्यवसाय लगभग 6 महीने तक पूरी तरह बंद रहा और उसके बाद भी रिक्शा चालकों को पहले जैसी स्थिति में लौटने में लंबा समय लगा. इस दौरान सरकार ने किसी भी प्रकार की सहायता नहीं की. आज भी अधिकांश रिक्शा चालक कर्ज में डूबे हैं. ऐसे में ई-बाइक टैक्सी या बाइक पूलिंग की अनुमति देना पूरी तरह से अन्याय है.
क्या है राज्य सरकार की योजना का उद्देश्य?
राज्य सरकार ने हाल ही में ई-बाइक टैक्सी योजना को मंज़ूरी दी है, जिसके तहत 15 किलोमीटर तक की दूरी तय की जा सकेगी. इसका उद्देश्य राज्यभर में करीब 20 हजार युवाओं को रोज़गार देना है. योजना के तहत सवार और पीछे बैठने वाले दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा.
ऑटो चालकों ने जताई चिंता
आजतक से बातचीत में कई ऑटो चालकों ने अपनी चिंता ज़ाहिर की. उन्होंने कहा कि मेट्रो के कारण पहले ही सवारी कम हो गई हैं. अब अगर बाइक टैक्सी शुरू हो गई तो हम पूरी तरह बेरोज़गार हो जाएंगे. निजी बाइक टैक्सी में वह सुरक्षा नहीं है जो ऑटो में होती है. रोजगार के लिए और रास्ते हो सकते हैं, लेकिन ऑटो और टैक्सी का धंधा बंद नहीं होना चाहिए.