बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि गैंगस्टर अबू सलेम (Abu Salem) की जेल की सजा 2030 में ही पूरी होगी. सलेम ने दावा किया था कि उसकी सजा 31 मार्च 2025 को पूरी हो चुकी है. जस्टिस एएस गडकरी और राजेश एस पाटिल की बेंच ने अबू सलेम याचिका स्वीकार की, जिस पर बाद में सुनवाई होगी. हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उसे केवल 25 साल की सजा दी जा सकती है, जो 2030 में पूरी होगी.
बेंच ने कहा, "हमारा मानना है कि गिरफ्तारी की तारीख अक्टूबर 2005 है. इसके मुताबिक, अभी 25 साल पूरे नहीं हुए हैं."
किस मामले में हुई है सजा?
अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. मुकदमे के बाद, उसे टाडा के तहत एक स्पेशल कोर्ट के द्वारा 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में भूमिका और बिल्डर प्रदीप जैन हत्याकांड के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
इसके बाद अबू सलेम ने उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी और बताया था कि जब उसे पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था, तो भारत सरकार ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि उसे 25 साल से ज़्यादा की सज़ा नहीं दी जाएगी. इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट अबू सलेम की सजा को कम करते हुए 2030 तक कर दिया था.
अबू सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा और फरहाना शाह ने सोमवार को अदालत में दलील दी कि वह 3 साल और 16 दिन की सजा माफी का हकदार है, जो अच्छे व्यवहार के लिए अर्जित की गई है और पुर्तगाल में हिरासत में बिताए गए वक्त के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई एक महीने की छूट भी है. मल्होत्रा ने तर्क दिया कि कुल मिलाकर अब तक की अवधि 25 साल से ज्यादा है और अबू सलेम को अब रिहा किया जाना चाहिए.
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हालांकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस तर्क का कड़ा विरोध किया. सीबीआई की तरफ से पेश एजिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सलेम की तरफ से 25 साल की सीमा को पूरा करने के लिए गणनाओं में गड़बड़ी की जा रही है. अनिल सिंह ने जोर देकर कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित कर दिया है, तो सलेम को स्पष्टता पाने के लिए तकनीकी रूप से सुप्रीम कोर्ट का ही रुख करना चाहिए.
हालांकि, जब ऋषि मल्होत्रा ने इस बात पर जोर दिया कि सजा के जोड़ में छूट को ध्यान में नहीं रखा गया है और इसलिए यह गलत है, तो बेंच ने कहा, "क्या आप यह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश गलत है? साधारण तर्क लागू करने पर भी, 25 साल पूरे होने बाकी हैं."
अबू सलेम के वकील ने गुजारिश किया कि कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई में तेजी लाए, जिस पर बेंच सहमत हो गई, लेकिन सुनवाई के लिए अगली तारीख तय नहीं की गई है.