महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को मराठा आरक्षण पर मुहर लग गई है. विधानसभा से यह बिल सर्वसम्मति से पारित हो गया है. इस बिल में 10 फीसदी मराठा आरक्षण की सिफारिश की गई है. इससे मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में रिजर्वेशन का लाभ मिलेगा. यह बिल अब विधान परिषद में रखा जाएगा. मराठा आरक्षण को लेकर आज विधानमंडल का विशेष सत्र आयोजित किया गया है.
इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण बिल को सर्वसम्मति और पूर्ण बहुमत से पारित करने की अपील की. हालांकि, विपक्षी नेताओं के साथ-साथ सत्ता पक्ष से एकमात्र सदस्य, एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल बिल पर आपत्ति जताने के लिए खड़े हुए. वहीं, विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने बिल पर सहमति जताई है.
बिल के ड्राफ्ट के मुताबिक, सरकार ने मराठा समुदाय को 10 फीसदी हिस्सेदारी दी है. विधेयक के मसौदे के अनुसार, आयोग ने 16 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी.
इस रिपोर्ट में जो निष्कर्ष और अनुमान निकल कर आए हैं, वो इस तरह हैं...
1. मराठा समुदाय में माध्यमिक शिक्षा और स्नातक, स्नातकोत्तर, व्यावसायिक शिक्षा पूरी करने की संख्या निम्न स्तर पर है.
2. आर्थिक पिछड़ापन शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा है.
3. अपर्याप्त शिक्षा अक्सर गरीबी और अपर्याप्त शिक्षा का कारण बनती है.
4. गरीबी रेखा से नीचे और पीले राशन कार्ड वाले मराठा परिवार 21.22 प्रतिशत हैं.
5. गरीबी रेखा से नीचे खुली श्रेणी के परिवार 18.09 प्रतिशत हैं.
6. मराठा परिवार का प्रतिशत राज्य के औसत (17.4%) से अधिक है जो दर्शाता है कि यह आर्थिक रूप से पिछड़ा है.
7. सार्वजनिक रोजगार (सरकारी) के सभी क्षेत्रों में मराठा समुदाय का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है.
8. इसलिए ये सेवाओं में पर्याप्त आरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा के हकदार हैं.
9. कमजोर मराठा समुदाय के आर्थिक आंकड़ों से पता चलता है कि मराठा समुदाय की आर्थिक स्थिति गैर-खुली श्रेणी की तुलना में भी कम है.
10. किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या करने वालों में 94 फीसदी मराठा समुदाय से हैं.
11. कमजोर मराठा समुदाय की आय का वित्तीय स्रोत कम हो रहा है और मराठा समुदाय को मथाडी श्रमिकों, कुलियों, सिपाहियों, सफाई कर्मचारियों, सहायकों, घरेलू श्रमिकों, कैबमैन, ड्राइवरों आदि द्वारा प्रदान किए जाने वाले काम पर निर्भर रहना होगा.
रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि से कम रिटर्न, जोत का विखंडन, कृषि से जुड़ी प्रतिष्ठा की हानि आदि कारकों के कारण मराठा समुदाय की आर्थिक स्थिति खराब हो गई.
12. आयोग द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित आरक्षण के मामलों की जांच की जाए तो कई राज्यों द्वारा आरक्षण की सीमा कुछ राज्यों द्वारा बढ़ा दी गई है.
बिहार ने रिक्ति और सेवा आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर दिया है, जबकि तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है.
13. आयोग ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने वाले राज्यों के आंकड़ों की जांच की है. कुछ असाधारण परिस्थितियां होने पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
14. भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत 50 प्रतिशत से अधिक का ऐसा आरक्षण प्रदान किया जा सकता है.
15. आयोग का मानना है कि वंचित मराठा समुदाय एक ऐसा वंचित वर्ग है जिसे मौजूदा पिछड़े वर्गों से अलग वर्गीकृत करने की आवश्यकता है.
16. आयोग ने पाया है कि मराठा समुदाय कुल जनसंख्या का 28 प्रतिशत है.
17. लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण वाली कई जातियाँ, समूह पहले से ही आरक्षित श्रेणी में हैं. राज्य में 28 फीसदी आबादी वाले मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में रखना अनुचित होगा.
18. आयोग का मानना है कि यह समुदाय संविधान के अनुच्छेद 342C के साथ-साथ संशोधित अनुच्छेद 366(26C) के अनुसार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग है.
19. कमजोर मराठा समुदाय के लिए आरक्षण समय की मांग है. यदि यह शीघ्रता से नहीं किया गया तो इसके परिणामस्वरूप समाज में पूर्णतः असंतुलन, सामाजिक बहिष्कार, बढ़ती असमानता तथा सामाजिक अन्याय की घटनाओं में वृद्धि के साथ-साथ समाज का पतन होगा.
आयोग की सिफारिशें
1. मराठा समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों के रूप में घोषित करने की सिफारिश की गई है.
2. मराठा समुदाय को संविधान के अनुच्छेद 342C और अनुच्छेद 366(26C) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता है.
3. मराठा समुदाय को मौजूदा आरक्षित जाति से भिन्न और स्वतंत्र प्रतिशत का एक अलग सामाजिक घटक बनाने की आवश्यकता है.
4. आरक्षण के लाभ की समय-समय पर हर दस साल में समीक्षा की जा सकती है.
5. राज्य सरकार इसके लिए पर्याप्त प्रतिशत प्रदान कर सकती है.
मराठा आरक्षण बिल में राज्य सरकार का प्रस्ताव
1. आयोग की रिपोर्ट, निष्कर्षों पर राज्य सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक विचार किया गया है और स्वीकार किया गया है.
2. मराठा समाज सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 342(सी) एवं अनुच्छेद 15(4), 15(5) अनुच्छेद 16(6) के अनुसार उस वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए.
3. मराठा समुदाय को 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा तक आरक्षण देने वाली असाधारण स्थिति का अस्तित्व.
4. मराठा समुदाय को सार्वजनिक सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की उम्मीद है और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में भी 10 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता है.
5. सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सार्वजनिक सेवाओं में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान कानून द्वारा अपेक्षित है.
6. संविधान के 342 सी का खंड (3) राज्य को राज्य के उद्देश्यों के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करने और बनाए रखने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है.
7. महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि इस उद्देश्य के लिए एक नया अधिनियम बनाना वांछनीय है.