महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने नागपुर में पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया है. नागपुर के पालक (प्रभारी) मंत्री नितिन राउत ने गुरुवार को ऐलान करते हुए कहा कि शहर में 15 से 21 मार्च तक पूर्ण लॉकडाउन रहेगा, यानि किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं रहेगी, सिर्फ जरूरी सामानों की दुकानें खुली रहेंगी.
आपको बता दें कि नागपुर में बुधवार को 1710 नए मामले सामने आए थे. 173 दिन बाद कोरोना के सबसे अधिक मामले एक दिन में आने का यह रिकॉर्ड है. नागपुर नगर निगम ने बुधवार को कहा था कि कोरोना के नए मामले महिलाओं और 20 से 40 आयु वर्ग के लोगों में आ रहे हैं. नगर निगम प्रशासन ने कहा था कि लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं.
प्रशासन बोला- महामारी को हल्के में ले रहे हैं लोग
नागपुर नगर निगम के कमिश्नर राधाकृष्णन बी ने बुधवार को कहा था कि लोग महामारी को हल्के में ले रहे हैं, बिना उनकी मदद हम इस महामारी पर काबू नहीं पा सकते हैं, सरकार ने सभी आर्थिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं, हम नहीं चाहते हैं कि पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाए, लेकिन अगर हालात खराब होते हैं तो हम लॉकडाउन का ऐलान कर सकते हैं.'
14 मार्च तक जारी रहेगी पहले से लगी पाबंदी
नागपुर में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने 14 मार्च तक नाइट कर्फ्यू लगाया हुआ है. सभी होटल, माल, रेस्तरां और प्राइवेट ऑफिस को वीकेंड पर बंद करने का आदेश दिया गया था. हालांकि, वीकेंड पर सिर्फ जरूरी सामानों की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई थी. अब कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया गया है.
ब्रिटेन-जर्मनी पर भी भारी महाराष्ट्र के आंकड़े
वर्ल्डोमीटर के आंकड़ों के अनुसार, जर्मनी में 10 मार्च को 12246 नए मरीज कोरोना के मिले. वहीं ब्रिटेन में करीब 6000 मामले सामने आए थे, लेकिन अकेले महाराष्ट्र में 10 मार्च को कोरोना के 13,659 नए मामले सामने आए थे. वहीं, पूरे देश में कोरोना के एक्टिव केस 190295 हैं, जबकि महाराष्ट्र में अकेले 100240 मरीज अभी हैं.
154 दिन बाद महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे अधिक केस
महाराष्ट्र में पिछले साल 7 अक्टूबर को कोरोना के 14,578 नए मामले सामने आए थे. इसके ठीक 154 दिन बाद यानी 10 मार्च को महाराष्ट्र में 13,659 नए मामले सामने आए हैं. 10 मार्च को महाराष्ट्र में कोरोना के कारण 54 लोगों की जान गई. अब तक महाराष्ट्र में कोरोना के 22,52,057 केस सामने आ चुके हैं, जिसमें 52,610 लोगों की मौत हो चुकी है.