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महाराष्ट्र निकाय चुनाव में कहीं फ्रेंडली फाइट, कहीं गठबंधन की परीक्षा, बारामती में सियासी लिटमस टेस्ट

महाराष्ट्र नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव के नतीजों की आज गिनती हो रही है. महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच जबरदस्त जंग है, लेकिन जमीनी स्तर पर गठबंधन के साथी ही एक-दूसरे को चुनौती देते नजर आ रहे हैं. विदर्भ से लेकर कोंकण तक सियासी पारा चढ़ा हुआ है.

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महाराष्ट्र निकाय चुनाव के नतीजों के क्या हैं मायने. (photo: ITG)
महाराष्ट्र निकाय चुनाव के नतीजों के क्या हैं मायने. (photo: ITG)

महाराष्ट्र में 286 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए हुए चुनावों की मतगणना आज सुबह 10 बजे शुरू हो गई है. शुरुआती रुझानों में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) ने स्पष्ट बढ़त बना ली है, जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए - कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी) पिछड़ गया है.

राज्य स्तर पर एकजुट दिखने वाले गठबंधनों में स्थानीय स्तर पर फ्रेंडली फाइट और सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. महायुति के अंदर सिंधुदुर्ग, सतारा, धाराशिव, पालघर और ठाणे जैसे जिलों में बीजेपी और शिंदे सेना ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे जो एक ही हिंदुत्व के मुद्दे पर वोट बैंक के लिए संघर्ष को दर्शाता है. कई जगहों पर तो कांग्रेस और स्थानीय बीजेपी नेताओं ने मिलकर शिंदे सेना को हराने के लिए 'फ्रेंडली फाइट' और आपसी तालमेल का सहारा लिया है, जबकि कई जगहों पर शरद पवार की एनसीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर अजित पवार की एनसीपी को चुनाव में टक्कर देने के लिए गठबंधन किया है. 

NCP वर्सेस NCP

वहीं, बारामती नगर परिषद का चुनाव एक बार फिर 'एनसीपी बनाम एनसीपी' की प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया. 2024 के चुनावों के बाद ये शरद पवार और अजित पवार के लिए स्थानीय संगठन पर कब्जे का लिटमस टेस्ट है, जहां अजित पवार गुट अपनी पुरानी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है. तो शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर उन्हें कड़ी चुनौती दी है.

इसके अलावा कोल्हापुर में एक दुर्लभ नजारा दिखा, जहां विरोधी होने के बावजूद दोनों एनसीपी गुटों ने मिलकर अपने साझा प्रतिद्वंद्वियों को रोकने के लिए सहयोग किया.

विदर्भ में BJP वर्सेस कांग्रेस

इस निकाय चुनाव में विदर्भ क्षेत्र में सबसे पारंपरिक मुकाबला देखने को मिला है,जहां की 27 नगरपालिकाओं में से 18 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का सीधा मुकाबला है. बीजेपी ने सभी 27 शहरों में चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस 22 शहरों में मैदान में उतरी है. कांग्रेस इस क्षेत्र में एमवीए की सबसे सक्रिय पार्टी के रूप में उभरी है.

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महायुति ने इन सीटों पर मारी बाजी

महायुति ने महाराष्ट्र निकाय चुनाव में कई सीटों पर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली है. धुले की डोंडाइचा और सोलापुर के अंगार में महायुति उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज कर ली है जो कि गठबंधन को नैतिक बढ़त है.

महायुति के अंदर संघर्ष

इसके अलावा कोंकण और ठाणे जिले में स्थानीय प्रभुत्व को लेकर महायुति के अंदर ही भारी संघर्ष देखने को मिला. अंबरनाथ और बदलापुर जैसे क्षेत्रों में शिंदे सेना को अपने ही सहयोगी दल बीजेपी के बढ़ते प्रभाव का सामना करना पड़ा.

रायगढ़ में मंत्री भरतशेट गोगावले और सुनील तटकरे के समर्थकों के बीच तीखी झड़पें हुईं, जिसने स्थानीय स्तर पर गठबंधन के दलों में बढ़ते मतभेदों को सामने रखा. कोंकण में चुनाव के दौरान 'कैश फॉर वोट' के गंभीर आरोप भी लगे.

अहिल्यानगर के कोपरगांव में तो वोटिंग के दौरान बीजेपी और अजित पवार समर्थक आपस में भिड़ गए.

आपको बता दें कि शुरुआती रुझानों में महायुति 100 से अधिक निकायों में आगे है, जिसमें बीजेपी सबसे मजबूत स्थिति में है. जबकि एमवीए महज 47 सीटों के आसपास है.

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