महाराष्ट्र सरकार ने विधान परिषद में जानकारी दी कि साल 2025 की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) में राज्य में 767 किसानों ने आत्महत्या की. ये आंकड़ा प्रदेश में गहराते कृषि संकट की ओर इशारा करता है. ये जानकारी राहत और पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव पाटिल ने एक लिखित उत्तर में दी, जो कि विपक्षी विधान परिषद सदस्यों डॉ. प्रज्ञा राजीव सातव, सतेज पाटिल और भाई जगताप के सवालों के जवाब में था.
कितने मामलों में मिला मुआवज़ा?
मंत्री मकरंद जाधव पाटिल के बयान के अनुसार जनवरी से मार्च 2025 के बीच रिपोर्ट किए गए 767 मामलों में से 373 किसान परिवारों को वित्तीय सहायता के लिए पात्र माना गया, जबकि 200 मामलों में परिजनों को अयोग्य घोषित किया गया. 194 मामलों की जांच अब भी जारी है.
पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता
पात्र पाए गए 373 मामलों में से 327 परिवारों को 1-1 लाख की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है, और बाकी बचे मामलों में प्रक्रिया जारी है. सरकार ने सभी विभागीय आयुक्तों को निर्देश दिया है कि वे लंबित मामलों का निपटारा जल्द करें.
सरकार की योजना और उपाय
मकरंद जाधव पाटिल ने आत्महत्या की घटनाएं रोकने के लिए उठाए गए कई कदमों का जिक्र किया. इसमें प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान पर मुआवज़ा, PM किसान सम्मान निधि और नमो शेतकरी महासम्मान योजना के तहत किसानों को सालाना 12,000 की सहायता, उचित मूल्य दिलाने की व्यवस्था और सिंचाई सुविधाएं शामिल हैं. इसके साथ ही जिलास्तर पर परामर्श केंद्रों की स्थापना की गई है, ताकि किसानों की मानसिक स्थिति को बेहतर किया जा सके.
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने सरकार पर मुआवज़े में देरी और नीतिगत विफलताओं का आरोप लगाते हुए मांग की कि आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत और त्वरित कदम उठाए जाएं. उन्होंने कहा कि सिर्फ राहत राशि से काम नहीं चलेगा, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना ज़रूरी है.