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'एक लाख कबूतरों की मौत हो चुकी...', दादर कबूतरखाना बंद करने के विरोध में जैन मुनि का मुंबई में अनशन

मुंबई में दादर कबूतरखाना बंद करने के खिलाफ जैन मुनि निलेशचंद्र विजय ने आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की. उन्होंने बीएमसी के फैसले को धार्मिक आस्था पर हमला बताया और कहा कि यह कबूतरखाना सदी पुरानी धरोहर है. मुनि ने जलत्याग का संकल्प लिया है.

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दादर कबूतरखाना बंद करने के खिलाफ जैन मुनि निलेशचंद्र विजय ने मुंबई में भू-जल त्याग अनशन शुरू किया (Photo: PTI)
दादर कबूतरखाना बंद करने के खिलाफ जैन मुनि निलेशचंद्र विजय ने मुंबई में भू-जल त्याग अनशन शुरू किया (Photo: PTI)

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक बार फिर से कबूतरखाना बंद होने का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है. मुंबई के आज़ाद मैदान में सोमवार से जैन मुनि निलेशचंद्र विजय ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की. उन्होंने बीएमसी से दादर के कबूतरखाना को तुरंत दोबारा खोलने की मांग की है, जिसे नगर निगम ने स्वास्थ्य कारणों से बंद कर दिया था.

मुनि ने पत्रकारों से कहा, “यह मेरा संवैधानिक अधिकार है. बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का अधिकार दिया है.”

उन्होंने कहा कि अब उन्होंने जल ग्रहण करना भी बंद कर दिया है और यह आंदोलन “शांतिपूर्ण और जीवन की रक्षा के लिए” किया जाएगा.

बीएमसी का कदम और स्वास्थ्य की चिंता

बीएमसी ने जुलाई में दादर सहित मुंबई के 51 कबूतरखाने बंद कर दिए थे. कारण था - कबूतरों की बीट से फैलने वाली श्वसन बीमारियां और आसपास के लोगों में फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश दिया था, जिसमें ICMR, AIIMS और राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं. यह समिति यह अध्ययन करेगी कि कबूतरों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है.

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जैन समुदाय का विरोध और धार्मिक भावना

जैन मुनि ने दादर कबूतरखाना को “सदी पुरानी धार्मिक धरोहर” बताते हुए कहा कि यह सिर्फ़ पक्षियों का घर नहीं, बल्कि शांति और करुणा का प्रतीक है.

उन्होंने कहा, “यह कबूतरखाना सौ साल से अधिक पुराना है. यह हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है. इसे बंद करना जीवों की हत्या के समान है.”

यह भी पढ़ें: मुंबई में 51 कबूतरखाने बंद... पक्षियों को दाना खिलाना पूरी तरह बैन, 100 लोगों का कट गया चालान

मुनि ने दावा किया कि कबूतरखाना बंद होने के बाद एक लाख से ज़्यादा कबूतरों की मौत हो चुकी है, और अब रोज़ाना 50 से 60 घायल या बीमार कबूतरों का इलाज किया जा रहा है.

वैकल्पिक स्थल और विरोध

बीएमसी ने नियंत्रित भोजन व्यवस्था के तहत चार नई जगहें - वर्ली जलाशय, अंधेरी मैंग्रोव एरिया, ऐरोली-मुलुंड चेकपोस्ट और बोरीवली का गोरेगांव ग्राउंड - पर सुबह 7 से 9 बजे तक कबूतरों को दाना डालने की अनुमति दी है.

लेकिन निलेशचंद्र विजय ने इसे ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, “ये जगहें दादर से 4 से 9 किलोमीटर दूर हैं. क्या कबूतर इतनी दूर उड़कर जाएंगे?”

राजनीति और तुलना

मुनि ने सवाल उठाया कि अगर मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे को आज़ाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मिल सकती है, तो उन्हें पक्षी संरक्षण के लिए आंदोलन करने से क्यों रोका जाए?
उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से दखल देने की अपील की और पूरे जैन समाज से मुंबई पहुंचकर आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया.

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समाज में विभाजित राय

कई स्थानीय निवासी बीएमसी के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि कबूतरों की बीट से फेफड़ों की बीमारियां फैल रही हैं और बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है.

वहीं, जैन समुदाय और पशु-प्रेमी संगठनों का मानना है कि “मानव की सुविधा के लिए जीवों को मरने नहीं दिया जा सकता.”

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