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महायुति में पावर के बाद फंड पर पेच! अमित शाह से मिले एकनाथ शिंदे, निधि आवंटन पर गिनाईं अड़चनें

महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है और फंड वितरण को लेकर अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चाएं तेज हैं. इस बीच, एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री शाह के साथ इस बैठक में वित्त विभाग से संबंधित फाइलों की मंजूरी में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई है. दरअसल, वित्त विभाग उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास है.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है. डिप्टी सीएम एकनाथ की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच अंदरखाने के मतभेद अब उभरकर सामने आने लगे हैं. शनिवार को पुणे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच हुई एक अहम बैठक चर्चा में आ गई है. इस बैठक को महाराष्ट्र की महायुति सरकार में फंड आवंटन को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री शाह के साथ इस बैठक में वित्त विभाग से संबंधित फाइलों की मंजूरी में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई है. दरअसल, वित्त विभाग उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास है. शिंदे ने कहा, शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों की विकास योजनाओं की फाइलें लंबे समय तक अटकी रहती हैं, जिससे जरूरी प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं.

शिंदे ने उठाया वेतन भुगतान का मुद्दा?

उन्होंने महायुति के सहयोगियों के बीच 'समानता और पारदर्शिता' की बात दोहराई और कहा, फंड वितरण और फाइल मंजूरी में निष्पक्षता होनी चाहिए. शिंदे ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल (MSRTC) के कर्मचारियों के वेतन भुगतान में आई हालिया अड़चन का भी जिक्र किया. यह मामला तब सुलझा, जब खुद शिंदे ने हस्तक्षेप किया और वित्त सचिव से बात की. 

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दरअसल, शिवसेना के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक के अधीन महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के कर्मचारियों के वेतन में फंडिंग संबंधी मुद्दों के कारण देरी हो रही थी. इस मामले को शिंदे द्वारा वित्त सचिव के साथ सीधे हस्तक्षेप के बाद सुलझाया गया था. 

महायुति सरकार

अजित पवार ने खारिज किए आरोप

हालांकि, वित्त मंत्री अजित पवार ने सतारा में पत्रकारों से बातचीत में इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, अमित शाह से ऐसी कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई है. पवार ने आगे स्पष्ट किया, अगर एकनाथ शिंदे को कोई आपत्ति होती तो वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस या मुझसे सीधे बात करते. हमारे आपसी संबंध बहुत मजबूत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सभी को अटकलों के बजाय फैक्ट पर ध्यान देना चाहिए.

इस पूरे घटनाक्रम से महायुति सरकार के भीतर तालमेल को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. 

महाराष्ट्र में पावर बैलेंस भी...

इससे पहले महाराष्ट्र में पावर बैलेंस से जुड़ा एक आदेश सामने आया था. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीन प्रमुख दलों के बीच पावर पॉलिटिक्स में संतुलन बनाए रखने के लिए अधिकारों का समान वितरण सुनिश्चित किया था. 18 मार्च, 2025 को मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में कहा गया है कि वित्त और योजना विभाग (वर्तमान में अजित पवार के अधीन) की हर फाइल अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से होकर गुजरेगी और फिर अंतिम मंजूरी के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस के पास भेजी जाएगी. इस कदम को सियासी संतुलन बनाए रखने के तौर पर देखा जा रहा है. 

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इससे पहले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान जब उद्धव ठाकरे सीएम थे और अजित पवार के पास वित्त विभाग था. तब शिंदे के शिवसेना गुट ने अजित पवार पर पक्षपात का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया था कि पहले एनसीपी, फिर कांग्रेस और अंत में शिवसेना को पैसा आवंटित किया जाता है, जो एमवीए के पतन का एक प्रमुख कारण बन गया था.

संजय राउत ने महायुति सरकार पर कसा तंज

इस बीच, शिवसेना (उद्धव सेना) के नेता संजय राउत ने महायुति में मचे घमासान पर तंज कसा है. राउत ने कहा कि ऐसा होना तय है. एक दिन कैबिनेट में दंगा होने वाला है. खून-खराबा होने वाला है. महाराष्ट्र के पैसों को लेकर कैबिनेट में लड़ाई होगी. बस इंतजार कीजिए और देखिए.

इससे पहले रायगढ़ जिले के पालक मंत्री पद पर छिड़ा विवाद अब तक सुलझा नहीं है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी के मंत्री और विधायक रायगढ़ पालक मंत्री पद पर दावा ठोक रहे हैं. इस बीच, महाराष्ट्र दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायगढ़ किले पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. उसके बाद वे एनसीपी (अजित पवार) के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय सांसद सुनील तटकरे के घर भोजन करने पहुंचे थे. शाह को तटकरे के घर आने जाने से राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई थीं. 

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सुनील तटकरे के घर लंच करने गए थे अमित शाह

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हालांकि, तटकरे ने लंच को गैर-राजनीतिक बातचीत बताया था. उन्होंने स्पष्ट किया था कि लंच के दरम्यान पालक मंत्री का मुद्दा एजेंडे में नहीं था. वहीं, जब शाह तटकरे और अन्य लोगों के साथ लंच कर रहे थे तो शिवसेना के स्थानीय नेता शामिल नहीं हुए थे, जिससे यह अटकलें और तेज हो गईं कि रायगढ़ और नासिक में पालक मंत्रियों के पदों के आवंटन को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति में सब कुछ ठीक नहीं है.

तटकरे ने कहा कि लंच मीटिंग गैर-राजनीतिक थी. पालक मंत्रियों का मुद्दा एजेंडे में नहीं था. लंच में महाराष्ट्रीयन भोजन शामिल था. मैं अभिभूत हूं कि शाह ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया. यह सादा भोजन था. तटकरे ने कहा, हमने दोपहर के भोजन के लिए रायगढ़ जिले के शिवसेना नेताओं को भी आमंत्रित किया था, लेकिन मुझे नहीं पता कि वे क्यों नहीं आए. 

मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथि पर रायगढ़ किले में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद शाह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ रायगढ़ के गीताबाग, सुतारवाड़ी स्थित तटकरे के घर पहुंचे थे. मंत्री शिवेंद्र सिंह भोसले, आशीष शेलार और केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल भी लंच में शामिल हुए थे.

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महाराष्ट्र में महायुति की सरकार

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति सरकार है. इस साल जनवरी में एनसीपी विधायक अदिति तटकरे और बीजेपी नेता गिरीश महाजन को क्रमशः रायगढ़ और नासिक जिले का पालक मंत्री नियुक्त किया गया था. लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विरोध के कारण फडणवीस सरकार को दोनों जिलों की नियुक्तियों पर रोक लगानी पड़ी थी. सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है.

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