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NAGPUR: चार मंदिरों में 'ड्रेस कोड' लागू, फटी जींस, शॉर्ट कपड़े पहनने पर नहीं मिलेगी एंट्री

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से नागपुर के चार मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है. इस पहल का महिलाओं ने भी स्वागत किया है. उनका कहना है की हम जब पब में जाते हैं, तो घाघरा-चोली पहनकर नहीं जाते हैं. ठीक उसी तरह मंदिर में भी भगवान के दर्शन के लिए जाते समय पूर्ण परिधान पहनना जरूरी है.

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मंदिरों में ड्रेस कोड लागू
मंदिरों में ड्रेस कोड लागू

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से नागपुर के चार मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है. घोषणा की गई है कि मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह पहल की गई है. इनमें श्री गोपाल कृष्ण मंदिर, श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर, श्री बृहस्पति मंदिर और श्री दुर्गा माता मंदिर शामिल हैं.

मंदिर महासंघ का कहना है कि राज्य के सभी मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया जाएगा. महासंघ का कहना है कि ड्रेस कोड राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में लागू है. साथ ही देश के कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों, मस्जिदों और अन्य पूजा स्थलों पर लागू है. जल्द ही ड्रेस कोड महाराष्ट्र के 300 से अधिक मंदिरों में लागू किया जाएगा.

ड्रेस कोड के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा

अगर भक्त फटी जींस, शॉर्ट कपड़े पहनकर मंदिर आते हैं, तो उन्हें ओढ़नी, दुपट्टा और लुंगी दी जाएगी. इससे वे बदन ढंक कर मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे. महासंघ की ओर से कहा गया है कि मंदिर ड्रेस कोड के संबंध में प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा.

मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना है उद्देश्य

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवट ने स्पष्ट किया कि कुछ प्रगतिशील या आधुनिक समझने वाले लोग 'ड्रेस कोड का विरोध करेंगे. मगर, अन्य धर्म के लिए ये लोग विरोध नहीं करते हैं. फिर मंदिर पर ही यह सवाल क्यों उठाया जाता हैं. हमारा उद्देश्य मंदिर की पवित्रता को बनाए रखना है.

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300 प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी

इस पूरे मामले में भक्त भी मंदिर प्रशासन के निर्णय के साथ हैं. मंदिर में ड्रेस कोड लागू किए जाने का महिलाओं ने भी स्वागत किया है. उनका कहना है की हम जब पब में जाते हैं, तो घाघरा-चोली पहनकर नहीं जाते हैं.

ठीक उसी तरह मंदिर में भी भगवान के दर्शन के लिए जाते समय पूर्ण वस्त्र परिधान धारण करना जरूरी है. वहीं, राज्य के 300 प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी महाराष्ट्र मंदिर महासंघ द्वारा की गई है. इस पर आने वाले समय में अमल किया जाएगा.

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