scorecardresearch
 

'समंदर हूं लौटकर आऊंगा...' फडणवीस के बैकफुट पर जाने और फिर फ्रंटफुट पॉलिटिक्स में आने की पूरी कहानी

पिता की मौत के बाद देवेन्द्र फडणवीस ने सियासत में किस्मत आजमाने का फैसला किया, इरादा था पिता की सियासी विरासत संभालना. इसमें पहली कामयाबी मिली जब 1992 में वह पार्षद बने और 1997 में  नागपुर के मेयर. इसके बाद फडणवीस  ने कभी मुडकर पीछे नहीं देखा.

Advertisement
X
देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस

ओपन लिंक अनुभव को जिंदगी का सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी माना जाता है, लेकिन उसकी काफी बड़ी फीस चुकानी पड़ती है. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के अनुभव देवेंद्र फडणवीस के लिए भी काफी महंगे थे. 2019 में अजित पवार के साथ मिलकर शपथ भी ली लेकिन चंद घंटों के भीतर सत्ता चली गई और फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा. 

तब विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा...’  जिस समंदर ने लौटकर आने का वादा किया था आज वो फिर लौट आया है. इस पांच साल के दौरान संघर्ष रहा, तिरस्कार भी कम नहीं सहा लेकिन जिस लगन से वह लगे रहे उसने फिर से मुख्यमंत्री की गद्दी फडणवीस को सौंप दी है. 

राज्य की सियासत के चतुर खिलाड़ी बने फडणवीस
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जब राज्य में हार का सामना करना पड़ा तो विधानसभा चुनाव को लेकर कई तरह की अटकलें लगने लगी. लेकिन ये फडणवीस थे जिन्होंने फिर से जमीन पर उतरकर न केवल विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू की बल्कि महायुति को भी एकजुट किया. नतीजा यह हुआ कि महज चार महीने के भीतर ना केवल महाविकास अघाडी की उम्मीदों की धज्जियां उड़ा दी, बल्कि उनके नेताओं के नायक होने की छवि को भी छीन लिया.

Advertisement

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र सीएम के रूप में देवेंद्र फडनवीस पहनेंगे कांटों का ताज, सामने होंगी ये 5 चुनौतियां |Opinion 

10 साल पहले तक महाराष्ट्र की सियासत में उनका नाम अनजाना सा था क्योंकि कभी मुखर होकर उनके नाम की चर्चा नहीं हुई. आज यही अनजानापन देवेंद्र फडणवीस की खासियत बन गया है. देवेंद्र उस राज्य में बीजेपी के लिए तारणहार बन गए जो बीजेपी के किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था. यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी से लेकर लेकर अमित शाह तक के लिए सवाल साख का बन गया था. इस परीक्षा में जीत मोदी लहर की बताई जा रही है लेकिन इस जीत को भगीरथ की गंगा की तरह जमीन पर लेकर आए देवेंद्र फडणवीस.. इसके पीछे है उनकी वर्षों की राजनीतिक समझ. 

मेयर से सीएम तक का सफर
वर्ष 2014 में जब लोकसभा के चुनाव हो रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नागपुर ने देश को देवेंद्र फडणवीस के रूप में एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है. ये बात उस समय की है, जब महाराष्ट्र की राजनीति में भी देवेंद्र फडणवीस का नाम बहुत कम लोगों ने सुना था. हालांकि देवेंद्र फडणवीस के लिए राजनीति कभी भी नई नहीं थी. देवेंद्र फडणवीस का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था.उनके पिता गंगाधर राव फडणवीस नागपुर से महाराष्ट्र की विधान परिषद के सदस्य थे.

Advertisement

पिता की मौत के बाद देवेन्द्र फडणवीस ने सियासत में किस्मत आजमाने का फैसला किया, इरादा था पिता की सियासी विरासत संभालना. 1990 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए. 1992 में नागपुर के राम नगर वार्ड से पहला नगर निगम चुनाव जीते और 22 वर्ष की उम्र में सबसे युवा पार्षद बने 1997 में  नागपुर के सबसे युवा मेयर. इसके बाद फडणवीस  ने कभी मुडकर पीछे नहीं देखा.

यह भी पढ़ें: 22 की उम्र में सबसे युवा पार्षद, 44 की उम्र में बने महाराष्ट्र के दूसरे यंगेस्ट सीएम... जानें देवेंद्र फडणवीस के बारे में सबकुछ

यहां से जो सियासी कामयाबियों का सिलसिला शुरु हुआ जो राजनीति में नई महात्वाकांक्षाओं को जन्म दे गया. 2001 में फडणवीस को भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवायएम) का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2010 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव बने और 2013 में राज्य इकाई के अध्यक्ष चुने गए. 2014 में तब पहला मौका था जब फडणवीस राज्य के सीएम बने और पूरे पांच साल सरकार चलाई.  2019 में नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से फिर से चुने गए.  आज महाराष्ट्र में वह बीजेपी के लिए सियासत के सबसे चतुर खिलाड़ी हैं.

 CM से लेकर डिप्टी सीएम 
देवेंद्र फडणवीस का एक डायलॉग काफी मशहूर है. वो कहते हैं कि, टेंशन नहीं लेने का.. पांच साल मुख्यमंत्री रहने के बाद वर्ष 2022 में जब बीजेपी ने उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा तो उनका पहले शब्द यही थे, टेंशन नहीं लेने का .. एक मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करना भी किसी कुर्बानी से कम नहीं था लेकिन फडणवीस ने ना केवल इसे स्वीकार किया बल्कि सीएम शिंदे के साथ पूरे कार्यकाल के दौरान उनका भरपूर सहयोग भी किया.

Advertisement

 बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि देवेंद्र फडणवीस जब नागपुर में होते हैं, तब वो एक दिन में 50 से ज्यादा कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और वो बीजेपी के कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते हैं. 

एक अच्छे नेता की पहचान यही होती है कि वो अपनी टीम के हर सदस्य जुड़ा हुआ रहता है. इस बात को आप देवेंद्र फडणवीस के इन दो बयानों से भी समझ सकते हैं. इनमें एक बयान इस साल हुए लोकसभा के चुनावों का है, जब उन्होंने कहा था कि बीजेपी गठबंधन के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी उनकी है. लेकिन जब विधानसभा के चुनावों में बीजेपी गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया तो उन्होंने ये कहा कि इस जीत में उनकी भूमिका बहुत छोटी सी है और ये जीत सबके प्रयासों से मिली है. 

यह भी पढ़ें: चेहरे वही, चेयर नई... फडणवीस, शिंदे और अजित पवार के बीच ऐसे बदल गया सत्ता का समीकरण!

फडणवीस का जन्म 22 जुलाई, 1970 को गंगाधरराव और सरिता फडणवीस के घर हुआ. उन्होंने कानून में ग्रेजुएशन किया और 1998 में जर्मनी के डाहलम स्कूल ऑफ एजुकेशन से बिजनेस मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा पूरा किया. 2006 में अमृता फडणवीस से शादी हुई और दोनों की एक बेटी है. 

Advertisement

 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement