मध्य प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दिग्गजों से लेकर निर्वाचित प्रतिनिधियों को एकजुट होने का पाठ और इसे याद न रखने पर सत्ता से दूर रहने की चेतावनी राज्य में गुटों की अगुवाई करने वालों को कितना याद रहेगी, ये सवाल उठने लगे हैं.
राज्य में कांग्रेस गुटबाजी का पर्याय बन चुकी है. बीते तीन दशकों में ऊपर से शुरू हुई गुटबाजी की बीमारी गहरा चुकी है. यही कारण है कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता की पहचान कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर कम गुटीय नेता के झंडाबरदार के तौर पर ज्यादा होती है. यहां कार्यकर्ता पहले गुट का है और उसके बाद कांग्रेस का.
राज्य में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता कितने तैयार हैं और जमीनी हकीकत क्या है, इसी के मद्देनजर राहुल गांधी का दो दिवसीय प्रवास हुआ. उन्होंने धार जिले के मोहनखेड़ा व राजधानी भोपाल में वर्तमान सांसद, विधायकों से लेकर, हारे उम्मीदवारों, विकासखंड स्तर तक के पदाधिकारियों के अलावा पंचायत व नगरीय निकाय के प्रतिनिधियों की क्लास लगाई.
इस क्लास में लोगों को खूब खुलकर अपनी बात कहने का मौका मिला. यही कारण था कि कई कार्यकर्ताओं ने आगामी बुरे परिणामों की परवाह किए बिना ही वह कह डाला जो अब तक वे कहने का साहस नहीं जुटा पाते थे.
गुटों की अगुवाई करने वाले नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और सुरेश पचौरी के नामों का इन कार्यकर्ताओं ने खुलकर जिक्र किया. यहां तक कह डाला कि इन्हीं नेताओं के कारण पार्टी हारती है. विभिन्न स्तर के प्रतिनिधियों द्वारा कही गई बात गांधी के दिल को छू गई.
यही कारण था कि भोपाल में पंचायत व नगरीय निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों के सामने उन्होंने गुटबाजी की चर्चा कर डाली. साथ ही भरोसा दिलाया कि अब पार्टी की उम्मीदवारी कुछ नेता तय नहीं करेंगे, बल्कि जिला व ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों की इसमें अहम भूमिका रहेगी.
राहुल गांधी ने एक तरफ जहां निचले स्तर के पदाधिकारियों को पार्टी में महत्व मिलने का भरोसा दिलाया तो वहीं बड़े नेताओं को चेतावनी भी दी. उन्होंने साफ कहा कि अगर गुटबाजी बनी रही तो राज्य में जीत सपना ही रह जाएगी. ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना आसान नहीं है. जीत का मंत्र सिर्फ एकजुटता ही है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी मानते हैं कि गांधी ने नेताओं को चेतावनी व नसीहत दी है. साथ ही कहा है कि प्राथमिकता कांग्रेस की मजबूती और जीत की है, उसके बाद ही कुछ और है. पार्टी निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की सहमति से विधानसभा के चुनाव से तीन माह पहले टिकट दे देगी. ऐसा होने से पार्टी को लाभ होगा.
राहुल ने इस दौरे में कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक को एकजुटता का पाठ पढ़ाया और गुटबाजी खत्म करने की हिदायत दी, मगर राहुल यह नहीं जानते हैं कि राज्य में गुटबाजी खत्म करना इतना आसान नहीं है. यहां के नेताओं की नेतागिरी इसी गुटबाजी से चलती है. गुटबाजी के कारण ही वे बड़े नेता बने हुए हैं. चुनाव करीब हैं, इसलिए नेताओं को पढ़ाए गए पाठ को तो याद रखना ही होगा मगर कौन कितना याद रखता है, इसका अभी से अनुमान नहीं लगाया जा सकता.