मध्यप्रदेश में एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया. इन सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी और 2 नवंबर को नतीजे आएंगे. इस उपचुनाव में जीत या हार से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, हालांकि, इन नतीजों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य जरूर तय होगा.
मध्यप्रदेश में बीते डेढ़ साल से भाजपा की सरकार है, जिसके मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. शिवराज सिंह देश के सबसे चर्चित मुख्यमंत्रियों में से एक हैं और मध्यप्रदेश में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा भी हैं. शिवराज ने इसी को ध्यान में रखते हुए उपचुनाव वाली सभी सीटों पर बीते दिनों जनदर्शन यात्री की.
यात्रा में दिखी शिवराज की अलग छवि
इस दौरान शिवराज ने अपनी छवि के विपरीत एक सख्त मुखिया का अंदाज दिखाया. उन्होंने इस जनदर्शन यात्रा में ना सिर्फ जनता की समस्याओं को सुना बल्कि ऑन द स्पॉट एक्शन लेते हुए इनका समाधान कराया और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की. शिवराज बेशक मध्यप्रदेश मे सबसे लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते विपक्ष के निशाने पर भी वही रहते हैं.
कोरोना, महंगाई के मुद्दे पर घिरेगी सरकार
विपक्षी दल यानि कांग्रेस के पास फिलहाल उपचुनावों में मुद्दों की कोई कमी नहीं है. ऐसे कई मुद्दे हैं जो विपक्ष के लिए हथियार का काम करेंगे और शिवराज के लिए सिरदर्द रहेंगे. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने का मामला हो, महंगाई का मुद्दा, प्रदेश मे बेरोजगारी और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरेगी.
मध्य प्रदेश में बीते कुछ महीनों से दलितों और धर्म विशेष के लोगों के साथ जो घटनाएं घटित हुईं उसके चलते भी शिवराज सरकार की जमकर किरकिरी हुई. दूसरी तरफ 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर जो पेच फंसा हुआ है, उसे लेकर भी सरकार निशाने पर है. कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था लेकिन तब से लेकर अब तक यह मामला कानूनी पेंच में उलझा हुआ है. हालांकि सरकार का दावा है कि जो मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं उन्हें छोड़कर सभी जगह 27% ओबीसी आरक्षण लागू कर दिया गया है.
शिवराज चौहान की साख दांव पर
उपचुनाव के नतीजे अगर भाजपा के पक्ष में आता है, तो यकीनन शिवराज बतौर मुख्यमंत्री और मजबूत होंगे. लेकिन बाजी अगर कांग्रेस के हाथ में जाती है तो माना जाएगा कि शिवराज का जादू कम हो रहा है और जिस तरह से भाजपा आलाकमान ने उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात मे चेहरे बदले हैं मध्यप्रदेश में भी इसी तरह की अटकलें शुरू हो सकती है.
इन सीटों पर होना है उपचुनाव
जिन 4 सीटों पर उपचुनाव होना हैं, उनमें एक लोकसभा सीट खंडवा की है, जबकि 3 विधानसभा सीटें (पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव) हैं. यह सभी सीटें सांसद और विधायकों के निधन के बाद खाली हुई हैं. 4 में से 2 सीट भाजपा के पास थीं तो वहीं 2 सीट कांग्रेस के पास. खंडवा लोकसभा सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान और रैगांव विधानसभा सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुईं, वहीं, पृथ्वीपुर सीट कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर और जोबट सीट कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई.