मध्य प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर गए करीब 3,000 जूनियर डॉक्टर फिर से काम पर लौट आए हैं. यह सभी डॉक्टर अपनी कोविड ड्यूटी छोड़कर पिछले सोमवार को हड़ताल पर चले गए थे. इस हड़ताल पर हाई कोर्ट सख्त हो गया था और हड़ताल को अवैध करार दिया था. हाई कोर्ट ने 24 घंटे के अंदर हड़ताल को खत्म करने के लिए कहा था.
जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश को मानने की बजाय करीब 3 हजार जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. इसे हाई कोर्ट ने अपने आदेश की अवमानना मानी थी और मंगलवार यानी 8 जून को इस मसले पर सुनवाई होनी थी. इससे पहले ही जूनियर डॉक्टर ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी.
हाई कोर्ट ने हड़ताल को बताया था अवैध
आपको बता दें कि जबलपुर हाई कोर्ट के द्वारा जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने और 5 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों को बर्खास्त करने के बाद जूनियर डॉक्टर आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए थे. मध्य प्रदेश के करीब 3 हज़ार जूनियर डॉक्टरों ने अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया था.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा था कि हमारी हड़ताल खत्म करवाने के लिए घर पर पुलिस भेजी जा रही है. सरकार बोल रही है कि जूनियर डॉक्टर ब्लैकमेल कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है, अगर ब्लैकमेल करना होता तो तब करते जब मरीज़ ज्यादा थे, अब तो मरीज़ भी कम हैं तो ब्लैकमेल क्यों करेंगे.
जूनियर डॉक्टर्स की क्या थी मांग
- स्टाइपेंड में 24% बढ़ोत्तरी करके 55000 से बढ़ाकर 68200 एवं 57000 से बढ़ाकर 70680 एवं 59000 से बढ़ाकर 73160 कर दी जाए.
- हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी हमारे बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए.
- पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए.
- कोविड ड्यूटी में काम कार्यरत हर जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिलेग जो आगे उसको सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करेगा.
- समस्त जूनियर डॉक्टर जो कि कोविड में काम कर रहे हैं उनको और उनके परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए एवं उनके उपचार के लिए प्राथमिकता दी जाए उस समय मौजूद सारे उचित उपचार उनके लिए मुहैया फ्री ऑफ कॉस्ट कराया जाए.
- जितने जूनियर डॉक्टर कोविड ड्यूटी में कार्यरत हैं उनका अधिक कार्यभार देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए.