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मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनावः महज 1 सीट पर सिमटी कांग्रेस, परंपरागत सीटें भी गंवाई

Madhya Pradesh Bypolls: चुनाव नतीजे बीजेपी के पक्ष में आएं, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके पूरे मंत्रिमंडल ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था.

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शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीएम शिवराज ने संभाली चुनाव अभियान की बागडोर
  • कांग्रेस की करारी हार, पार्टी को मिली महज एक सीट

मध्य प्रदेश में विधानसभा की चार रिक्त सीटों पर उपचुनाव हुए. इन चार सीट पर हुए उपचुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीन सीट पर जीत हासिल की है. कोरोना, बाढ़ और महंगाई जैसे बड़े मुद्दों के बावजूद बावजूद जनता ने बीजेपी को वोट दिया जबकि कांग्रेस न केवल एक सीट पर सिमट गई बल्कि पृथ्वीपुर और जोबट जैसी अपनी परंपरागत सीटें भी हार गई. 

चुनाव नतीजे बीजेपी के पक्ष में आएं, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके पूरे मंत्रिमंडल ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. बीजेपी के चार बड़े नेताओं सीएम शिवराज, वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, उमा भारती ने चार सीटों पर कुल 80 से ज्यादा सभाएं की जबकि कांग्रेस के 2 बड़े नाम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने कुल 20 के करीब चुनावी रैलियां कीं.

फिर चला शिवराज का जादू?

इस उपचुनाव में बीजेपी को बढ़त के बाद एक बार फिर माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान भले ही लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनकी मामा वाली छवि अभी भी बरकरार है. शिवराज का जनता के साथ कनेक्ट करने का तरीका इस उपचुनाव में भी दूसरे नेताओं से काफी अलग और असरदार साबित हुआ. शिवराज सिंह चौहान ने पूरा फोकस चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन पर रखा. सीएम शिवराज ने चुनाव अभियान की बागडोर खुद संभाली. 

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सीएम शिवराज ने 39 सभाएं, 25 नुक्कड़ सभाएं और पांच रात्रि विश्राम किए. वे लगातार लोगों के बीच रहे. सीएम शिवराज ने आदिवासियों और ग्रामीणों के साथ रात्रि विश्राम किए, गांव में चौपाल लगाए और उनसे संवाद किए. जोबट मे ग्रामीण चौपाल, बुरहानपुर में बैंड वाले परिवार के यहां रुकना, पृथ्वीपुर में गांववालों के बीच रात का भोजन और उनके ही घर पर रुकना भी शिवराज ने पहली बार किया. सरकार और पार्टी संगठन के बीच समन्वय भी काफी बेहतर रहा.

 

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