scorecardresearch
 

रामभक्त बने दिग्विजय और कमलनाथ, भूमिपूजन में नहीं कांग्रेस साथ

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने राम मंदिर के भूमि पूजन का स्वागत ही नहीं बल्कि अपने घर में रामदरबार सजाने की तैयारी कर ली है. दिग्विजय सिंह भूमि पूजन कार्यक्रम के शुभ मुहूर्त को लेकर भले ही सवाल उठा रहे हों लेकिन भगवान राम को आस्था का केंद्र बताया है. इन दोनों नेताओं के विपरीत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से खामोशी अख्तियार किए हुए है.

Advertisement
X
मध्य प्रदेश पूर्व सीएम कमलनाथ
मध्य प्रदेश पूर्व सीएम कमलनाथ

  • राममंदिर के भूमि पूजन का 5 अगस्त को कार्यक्रम
  • कमलनाथ का 4 अगस्त को रामदरबार का कार्यक्रम
  • उपचुनाव को लेकर कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व का दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे, जिसे लेकर बीजेपी देश भर में राममय माहौल बनाने की कोशिश में है. वहीं, भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भले ही खामोशी अख्तियार किए हुए हो, लेकिन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह खुद को रामभक्त बताने की कवायद में जुटे हैं.

कमलनाथ ने राम मंदिर के भूमि पूजन का स्वागत ही नहीं बल्कि अपने घर में रामदरबार सजाने की तैयारी कर ली है. भूमि पूजन से एक दिन पहले 4 अगस्त को कमलनाथ के सरकारी निवास पर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ा जाएगा. कमलनाथ ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी इस बात की सलाह दी है कि वह मंगलवार की शाम को घर में रहते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें और प्रदेश के विकास और कोरोना से मुक्ति की कामना करें.

Advertisement

ये भी पढ़ें: कमलनाथ बोले- राजीव गांधी ने खोला था मंदिर का ताला, क्या BJP ने धर्म का ठेका ले रखा है?

दिग्विजय सिंह भूमि पूजन कार्यक्रम के शुभ मुहूर्त को लेकर भले ही सवाल उठा रहे हों लेकिन भगवान राम को आस्था का केंद्र बताया है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्म भूमि पर बनना चाहिए और रामलला को वहां विराज होना चाहिए. दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सपना था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. वहीं, कमलनाथ ने कहा कि राममंदिर के लिए राजीव गांधी ने जितना किया है उतना किसी ने नहीं किया. मस्जिद का ताला खुलवाने से लेकर शिलान्यास की अनुमित राजीव गांधी ने दी थी, लेकिन हम इस राजनीति नहीं करते हैं.

मध्य प्रदेश की सियासत में कांग्रेस की नीति हमेशा से ही सॉफ्ट हिंदुत्व की रही है. कमलनाथ हिंदू आस्था जैसे धार्मिक मुद्दों पर विवादास्पद प्रतिक्रिया देने से बचते रहे हैं, इसके बदले वो सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलते नजर आए हैं. कमलनाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया है, जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा हनुमान मंदिर है. वहीं, दिग्विजय सिंह ने चुनाव से ठीक पहले 192 दिनों तक 'नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा की थी.

Advertisement

ये भी पढ़ें: भूमि पूजन से पहले कमलनाथ करेंगे हनुमान चालीसा का पाठ, BJP ने बताया दिखावा

बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली थी तो उन्होंने अपनी पार्टी के सभी नेताओं से साफ तौर पर कहा था कि वे ऐसे बयान न दें, जिससे वोटों का ध्रुवीकरण धर्म के आधार पर हो जाए. इसके बदले उन्होंने अपने एजेंडे में गौशाला से लेकर राम वनगमन पथ के निर्माण को विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था. कमलनाथ ने अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भी दतिया के पीतांबरा पीठ से की थी. विधानसभा चुनाव में इसका कांग्रेस को जबरदस्त लाभ मिला था और सत्ता की कमान कमलनाथ को मिली थी.

मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कमलनाथ-दिग्विजय सिंह राम को नहीं छोड़ना चाहते हैं. कमलनाथ इन उपचुनावों के जरिए सत्ता में वापसी की एक और कोशिश कर रहे हैं. प्रदेश में जिन स्थानों पर उपचुनाव होना है, उसमें मालवा-निमाड़ की कुछ सीटें ऐसी हैं जहां वोटों का ध्रुवीकरण काफी तेजी से होता है. बीजेपी भूमि पूजन के जरिए माहौल बनाने में जुटी है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि ओरछा के रामराजा मंदिर में पूजा अर्चना का कार्यक्रम इसी बीच दो दिन का रखा है. यही वजह है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में भूमि पूजन के समर्थन में खड़ी नजर आ रही.

Advertisement

दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित चार राज्यों की सरकार बर्खास्त कर दी गई थीं. मध्य प्रदेश में इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी. अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने कांग्रेस को जिताने में अहम भूमिका अदा की थी. इसके बाद बीजेपी को सूबे में सरकार बनाने के लिए एक दशक तक इंतजार करना पड़ा था.

बीजेपी ने साल 2003 में मध्य प्रदेश की सियासी जंग फतह करने को लिए उमा भारती को पार्टी का चेहरा बनाया था. उमा भारती 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस की घटना में महत्वपूर्ण चेहरा थीं, जिसके दम पर उन्होंने बीजेपी के सत्ता का वनवास को खत्म किया था. इसके बाद से 15 साल तक बीजेपी सत्ता में बनी रही और 2018 में कमलनाथ ने बीजेपी के हिंदुत्व दांव से मात दिया था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते 15 महीने में सत्ता गंवानी पड़ी है. अब उपचुनाव के जरिए सत्ता में वापसी के लिए कमलनाथ बेताब हैं और राम का दामन पकड़े रहना चाहते हैं.

Advertisement
Advertisement