झारखंड में सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के अफसरों की मिलीभगत से तीन साल पहले साल 2012 में 514 युवकों को फर्जी तरीके से नक्सली बताकर सरेंडर कराने के केस में नए सवाल उठ गए है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, इस केस में सीबीआई जांच सवालों के घेरे में है. केस के पीड़ितों का कहना है कि हाथ में हथियार थमाने से लेकर सरेंडर कराने तक सारा काम सीआरपीएफ के सामने हुआ.
इंडिया टुडे के खुलासे के मुताबिक, झारखंड के जंगलों में रहने वाले आदिवासी बेरोजगार युवकों को गलत तरीके से कागजों पर नक्सली बनाकर समर्पण करने के लिए मजबूर किया गया. साल 2012 में सरेंडर करने वाले 514 युवकों में से ज्यादातर कोरा बटालियन में शामिल होना चाहते थे. इन युवकों से तब रुपये लेकर ये दावा किया गया था कि नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने से नौकरी जल्दी मिल जाएगी.
साल 2012 में आत्मसमर्पण करने वाले 24 वर्षीय कुलदीप बारा ने बताया कि नौकरी के लिए मेरे परिवार ने रुपये उधार लेकर 1 लाख रुपये दिए. कुलदीप ने कहा, 'आत्मसमर्पण के वक्त मुझे गन थमा दी गई. मुझसे वादा किया गया था कि आत्मसमर्पण करने के बाद नौकरी मिलने में आसानी रहेगी.' इंडिया टुडे ने अपनी पड़ताल में पाया कि इस केस में रवि पोडरा और दिनेश प्रजापति मुख्य आरोपी हैं. इन दोनों के खिलाफ 28 मार्च 2014 को एफआईआर भी दर्ज की गई.
कोबरा बटालियन में शामिल होना चाहते थे नौजवान
झारखंड के गुमला में
ज्यादातर जवान कोबरा बटालियन में भर्ती होना चाहते थे. भर्ती के लिए रिश्वत देने के लिए युवाओं
के परिवार के लोगों ने घर बेचने से लेकर अपनी जमीन तक गिरवी रख दी. लेकिन झूठे वादों और
ठगों के चलते किसी भी युवा को नौकरी तो नहीं मिली, लेकिन पूर्व नक्सली कहा जाने
लगा.
'खेत गिरवी रखा, थमाई गन'
साल 2012 में आत्मसमर्पण करने वाले नकली नक्सली
कर्मदयाल ने बताया कि हम 9 महीने कैंप में रहे. नौकरी के लिए 50 हजार रुपये रिश्वत दी. हमारे
पास पैसे नहीं थे, इसलिए रुपयों के इंतजाम के लिए खेत तक गिरवी रखा दिया , लेकिन आखिर में
हमारे हाथ में गन थमाकर हमें नकली नक्सली बना दिया गया.
रांची के पुराने जेल कैंपस में थे
युवक
साल 2012 में आत्मसमर्पण से पहले 514 युवाओं को रांची के पुराने जेल में रखा गया
था. नौजवानों को जेल में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन में होने का दिलासा दिया गया.
हालांकि कुछ महीने बाद उन्हें वहां से निकालकर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया.
अटकी
हुई है सीबीआई जांच
घटना को 3 साल हो गए हैं. लेकिन सीबीआई जांच में अब तक किसी
दोषी को सजा नहीं मिल पाई है. झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा, 'पिछली सरकार ने केस
की सीबीआई जांच के लिए आदेश दे दिए थे. सीबीआई रिपोर्ट आने के बाद ही किसी नतीजे पर
पहुंचा जा सकता हूं.'
चार लोगों की हुई है गिरफ्तारी
पुलिस ने इस मामले में 4 लोगों को
अब तक गिरफ्तार किया है. मामले में अब तक सीआरपीएफ के उन अफसरों से पूछताछ नहीं हुई है,
जिन्होंने 514 बेगुनाहों को नकली नक्सली बनाकर आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था.
दूर तक
फैला है ये मामला: हेमंत सोरेन
झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं जब सूबे का
मुख्यमंत्री बना तो ये मामला काफी उलझा हुआ था. ये मामला असम, झारखंड, ओडिशा, नागालैंड
तक फैला है.
जांच को जल्द पहुंचाएंगे अंजाम तक: CM
झारखंड में अब नई सरकार ने भी नकली
नक्सलियों के इस स्कैंडल को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाने का ऐलान किया है, लेकिन सवाल ये
है कि बीते एक साल में जांच सुपुर्द होने के बावजूद सीबीआई ने जांच शुरू क्यों नहीं की
है.
मिलिट्री खुफिया से संपर्क में था मुख्य आरोपी
केस के मुख्य आरोपी रवि बोडरा को
मिलिट्री खुफिया से जुड़ा पूर्व मुखबिर बताया जाता है. केस के दूसरे मुख्य आरोपी दिनेश प्रजापति
को बोडरा का मुखबिर बताया जाता है. प्रजापति दिगदर्शन कोचिंग चलाता था. साल 2012 में
एमवी राव सीआरपीएफ के आईजी बनकर रांची पहुंचे. राव ने चंद रोज में ही माजरा समझ लिया
और झारखंड के पुलिस महानिदेशक को चिट्ठी लिखकर पूरे फर्जीवाड़े से पर्दा उठा दिया.