झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में अचानक वज्रपात हो गया, जिससे सुरक्षाबलों का कैंप चपेट में आ गया. इस हादसे में चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से एक सीआरपीएफ अधिकारी की इलाज के दौरान मौत हो गई. सभी जवान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात थे और अभियान पर जुटे हुए थे.
जानकारी के अनुसार, यह घटना जिले के सारंडा के बालिबा क्षेत्र में गुरुवार को करीब साढ़े तीन बजे हुई. यहां अचानक तेज वज्रपात हुआ, जिससे सीआरपीएफ 26 बटालियन का कैंप चपेट में आ गया. इस घटना में सीआरपीएफ के द्वितीय कमान अधिकारी एमपी सिंह, सहायक कमांडेंट सुबीर मंडल और झारखंड पुलिस व जगुआर के एएसआई सुदेश और एएसआई चंदन हांसदा घायल हो गए.

सभी घायलों को तत्काल किरीबुरु और नोवामुंडी अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन इलाज के दौरान एमपी सिंह ने दम तोड़ दिया. वे मणिपुर के परेल के निवासी थे और क्षेत्र में नक्सलवाद के सफाए के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.
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घटना के तुरंत बाद किरीबुरु-मेघाहातुबुरु अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर और प्राथमिक चिकित्सा उपकरणों से लैस राहत टीम को रवाना किया गया. बेहद मुश्किल रास्तों के बीच घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया. कोल्हान डीआईजी मनोज रतन चौथे ने बताया कि घायल जवानों की हालत नाजुक है, लेकिन उन्हें बेहतर इलाज देने की हरसंभव कोशिश की जा रही है.

एमपी सिंह को चाईबासा पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि दी जाएगी. एसपी आशुतोष शेखर ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए उन्हें सच्चा वीर बताया. पश्चिमी सिंहभूम के जंगलों में पहले से ही नक्सलियों की चुनौती है, और अब मौसम का कहर भी सामने आ रहा है.
मानसून से पहले तेज आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे जंगलों में तैनात सुरक्षाकर्मियों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि इस हादसे से ठीक एक दिन पहले आईजी अखिलेश झा ने सुरक्षाबलों के साथ बैठक कर बड़े नक्सल विरोधी अभियान की रणनीति तैयार की थी, लेकिन उससे पहले ही प्राकृतिक आपदा ने ऑपरेशन की दिशा पर असर डाल दिया है.