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जम्मू-कश्मीर: दो झंडे फहराने के फैसले पर डिविजन बेंच ने लगाई रोक

बीते साल मार्च में जम्मू-कश्मीर की सरकार ने एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि सभी संवैधानिक संस्थाओं की इमारतों और आधिकारिक गाड़ियों पर राज्य के झंडे को तिरंगा के साथ ही फहराया जाए.

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जम्मू-कश्मीर में सरकारी बिल्डिंगों पर दो झंडे फहराने के सिंगल बेंच के फैसले पर हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी बिल्डिंगों पर सिर्फ तिरंगा ही फहराया जाएगा.

दरअसल, बीते साल मार्च में राज्य की सरकार ने एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि सभी संवैधानिक संस्थाओं की इमारतों और आधिकारिक गाड़ियों पर राज्य के झंडे को तिरंगा के साथ ही फहराया जाए. हालांकि, दबाव के बाद सरकार ने फैसले से कदम वापस खींच लिए थे. बाद में श्रीनगर हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए सरकार को दो झंडे लगाने का आदेश दिया था.

बीजेपी नेता ने दी थी फैसले को चुनौती
इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में अपील गई. याचिका पर सुनवाई करते जस्टिस बीएल भट्ट और जस्टिस ताशी रब्स्टन ने जस्टिस हसनैन मसूदी के फैसले पर रोक लगा दी. सिंगल बेंच के फैसले को पूर्व आईजी पुलिस और जम्मू बीजेपी के नेता फारूक खान ने चुनौती दी थी.

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राज्य में कई जगह हुए विरोध-प्रदर्शन
बता दें कि जस्टिस मसूदी ने अपने फैसले में कहा था, 'जम्मू-कश्मीर को आर्टिकल 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया है और यह स्थायी है. इसे ना तो रद्द किया जा सकता है, ना ही इसमें संशोधन किया जा सकता है.' कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में कई जगह विरोध-प्रदर्शन हुए और लोग बीजेपी की नीति पर भी सवाल उठाने लगे. पैंथर पार्टी ने बीजेपी के 'एक निशान-एक विधान' के नारे पर भी सवाल किया और कहा कि पार्टी देश की जनता को निराश कर रही है.

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