जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बन चुकी है. शपथ ग्रहण के बाद से ही दोनों दलों के बीच मनमुटाव की खबरें भी आने लगी हैं. हालांकि दोनों दल इस बाबत सबकुछ ठीक होने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन बताया जाता है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी की पहली पसंद पीडीपी की बजाय नेशनल कॉन्फ्रेंस थी.
अंग्रेजी अखबार, 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, सरकार बनाने के लिए पीडीपी से संपर्क साधने से पहले बीजेपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की थी. राज्य के चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन बाद यानी 24 दिसंबर को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने दिल्ली में उमर अब्दुल्ला से मुलाकात कर गठबंधन की संभावना पर चर्चा की थी.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि बीजेपी की ओर से उमर अब्दुल्ला को केंद्र में कैबिनेट मंत्री और राज्य की नई सरकार में उनकी पार्टी के किसी नेता को उप-मुख्यमंत्री का पद दिए जाने का ऑफर दिया गया था. इस गुप्त मीटिंग के बारे में बताते हुए उस तस्वीर की ओर भी इशारा किया गया है, जिसे उमर अब्दुल्ला ने 24 दिसंबर को ही ट्विटर पर पोस्ट किया था. इस तस्वीर में लिखा था, 'शांत रहिए, क्योंकि मैं वापसी करूंगा.'
बताया जाता है कि उसी रात उन्होंने अमित शाह और राम माधव से मुलाकात की थी. बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने इस मुलाकात के बारे में पुष्टि भी की है. हालांकि, मुलाकात के बाद क्या हुआ और बात आगे क्यों नहीं बढ़ी इस बाबत अलग-अलग राय सामने आ रही है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक नेता ने कहा कि बीजेपी का ऑफर दो पूर्वानुमानों पर आधारित थे. उन्होने कहा, 'वे पीडीपी की राजनीति को लेकर सहज नहीं थे. एनसी को कम सीटें आई थीं तो बीजेपी को लगा कि वह अपनी मर्जी चला लेगा. लेकिन उमर को यह मंजूर नहीं था.' एनसी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी ने फारूख अब्दुल्ला से मुलाकात के लिए अपने लोगों को दो बार लंदन भेजकर उमर को बाइपास करने की भी कोशिश की थी.
अपरिपक्व थे उमर
दूसरी ओर, बीजेपी सूत्रों ने कहा कि गठबंधन के लिए फारूख अब्दुल्ला ठीक थे, लेकिन उमर इस मामले में अपरिपक्व जान पड़े. बीजेपी के एक नेता ने कहा, 'उमर को लगा कि जब बीजेपी की पीडीपी से बात नहीं बनेगी तो उसके पास कोई विकल्प नहीं होगा और वह उमर को दोबारा सीएम पद ऑफर करेगी.'
गौरतलब है कि इस बैठक के दूसरे दिन यानी 25 दिसंबर को राम माधव ने इससे जुड़ी खबरों का खंडन करने की कोशिश की. उन्होंने तब ट्विटर पर लिखा, 'दिल्ली में एनसी नेताओं से बीजेपी नेताओं की मुलाकात की खबर आधारहीन है.' इसे उमर ने भी तुरत रिट्वीट कर दिया.
अब एनसी के सूत्रों का दावा है कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता, अफ्सपा और धारा-370 जैसे अहम मसलों पर आगे बढ़ने में रुचि नहीं दिखाई. जबकि बीजेपी सूत्रों का कहना है, 'एनसी की शुरुआती प्रतिक्रिया काफी साकारात्मक थी. लेकिन बातचीत के बाद हमें लगा कि उमर में विश्वास का अभाव है. उन्होंने एक मौका गंवा दिया.' गौरतलब है कि 87 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को 24 जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटें मिली हैं.