हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली इलाके की मस्जिद को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. पिछले 10 दिन से मस्जिद को अवैध बताकर विरोध-प्रर्दशन किया जा रहा है. स्थानीय व्यापारियों ने ऐलान किया कि है कि वे आज (गुरुवार) अपनी दुकानें-प्रतिष्ठान बंद रखेंगे. इस पूरे मसले पर राजनीति भी गरमा गई है. बीजेपी लगातार सत्तारूढ़ कांग्रेस को घेर रही है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अवैध मस्जिद को छूने से डरती है. जबकि कांग्रेस का कहना है कि कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, इसलिए बीजेपी मस्जिद मुद्दे को जबरन तूल दे रही है. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला?
दरअसल, शिमला के संजौली में विवादित मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर हिंदू संगठन सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार को पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज कर दिया. इसके विरोध में गुरुवार को स्थानीय व्यापारी संगठन ने शिमला बंद का आह्वान किया है. व्यापार मंडल ने आज सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक दुकानें बंद रखने का आह्वान किया. बंद का खासा असर देखने को मिला है. कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे हैं.
पहले इस पूरे विवाद के बारे में जान लीजिए. दरअसल, शिमला के संजौली में जो 5 मंजिला मस्जिद बनाई गई है. वहां पुरानी छोटी मस्जिद की जगह एक अवैध इमारत खड़ी कर दी गई है. आरोप है कि इस मस्जिद को बिना किसी मंजूरी के 5 मंजिल तक बनाया गया है. इस मस्जिद का निर्माण 2009 में शुरू हो गया था और इसे लेकर 2010 में विवाद शुरू हो गया. विवाद होने के 2 साल बाद 2012 में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने की मंजूरी दी थी. नगर निगम की आपत्ति पर 2013 में एक अन्य व्यक्ति ने मस्जिद की ओर से एक मंजिल का प्रस्तावित नक्शा निगम में दिया और 2018 तक बिना वैध मंजूरी के 5 मंजिला मस्जिद बना डाली. लोगों का कहना है कि जब शिमला में साढ़े तीन मंजिल से ज्यादा किसी भी इमारत के निर्माण पर सख्त प्रतिबंध है तो फिर शिमला के संजौली इलाके में सरकारी जमीन पर पांच मंजिला अवैध मस्जिद का निर्माण कैसे हुआ और अब जब सरकार को ये पता चल गया कि ये मस्जिद गैर-कानूनी तरीके से बनाई गई है तो सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
वक्फ बोर्ड ने भी माना- दो मंजिलें अवैध बनीं
इस बारे में शिमला वक्फ बोर्ड ने भी माना है कि संजौली में बनी मस्जिद की दो मंजिलें अवैध हैं. यह मामला कई सालों से शिमला के नगर निगम कमिश्नर कोर्ट में चल रहा है. वक्फ बोर्ड ने पूरी मस्जिद को अपने अधीन ले लिया है. अवैध कब्जे को हटा दिया गया है. इसे बाहरी राज्य के कुछ मुस्लिम समुदाय की ओर से किया गया था. यहां जो इमाम तैनात थे, उन्हें हटा दिया है. अब बाहरी लोगों के रहने पर भी रोक लगा दी है.
क्यों विवाद शुरू हुआ?
शिमला में बवाल के पीछे दो थ्योरी बताई जा रही हैं. पहली थ्योरी- 30 अगस्त को स्थानीय कारोबारी यशपाल चौहान के साथ मारपीट हुई. मारपीट करने वाले सभी 6 आरोपी शिमला के नहीं, बल्कि बाहरी थे और मारपीट के बाद सभी आरोपी मस्जिद में जाकर छिप गए. यशपाल के साथ हुई मारपीट के बाद मस्जिद में आरोपियों के छिपने की वजह से विरोध- प्रदर्शन शुरू हुआ और अवैध निर्माण का मुद्दा गरमा गया. हिंदू संगठनों ने मस्जिद का अवैध निर्माण गिराने की मांग की. दूसरी थ्योरी- मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर लंबे अर्से से कानून लड़ाई चल रही है. मामला शिमला नगर निगम में है. अभी अवैध निर्माण को लेकर नगर निगम का फैसला नहीं आया है. ऐसे में मारपीट से पूरे मामले को जोड़कर राजनीति की जा रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये मस्जिद असामाजिक तत्वों के लिए केंद्र बन गई है. इस इलाके में उनका रहना मुश्किल हो गया है और बाहर से आए लोगों ने उनके इलाके पर कब्जा कर लिया है.
सड़क से सदन तक गूंजा संजौली मस्जिद का विवाद
इधर, मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर स्थानीय नागरिकों में भी नाराजगी बढ़ गई. 5 सितंबर को हजारों लोगों ने संजौली बाजार में अवैध निर्माण गिराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम दिया. यह पूरा विवाद विधानसभा के मानसूत्र में भी गूंजा. सरकार ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. इस बीच, कसुम्पटी में बीच बाजार में बनी मस्जिद पर भी विवाद हो गया. यहां पर भी लोगों ने दूसरे राज्य से आए लोगों पर अवैध ढंग से मस्जिद चलाने के आरोप लगाए. लोगों का आरोप है कि ये जमीन घर बनाने के लिए ली गई थी और मस्जिद चलाई जा रही है. बिना अनुमति के कंस्ट्रक्शन चल रहा है.
स्थानीय लोग तर्क देते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में शिमला में कई लोगों के मकानों पर सरकार ने बुलडोजर चलाया है, जो चार या पांच मंजिल के थे, लेकिन इस मस्जिद का अवैध निर्माण वर्ष 2010 से हो रहा है और नगर निगम 35 बार इसे तोड़ने का आदेश दे चुका है लेकिन इसके बावजूद आज तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
11 सितंबर को क्या हुआ?
हफ्तेभर बाद भी पुलिस-प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया तो बुधवार को फिर संजौली मस्जिद गिराने की मांग को लेकर बवाल हुआ. स्थानीय लोगों के साथ विभिन्न हिंदू संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया. भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने संजौली टनल में बैरिकेडिंग की गई, जिसे गुस्साई भीड़ ने तोड़ दिया. उसके बाद प्रर्दशनकारी नारेबाजी करते हुए मस्जिद की ओर आगे बढ़ने लगे. बाजार में भी 10 फीट ऊंचे बैरिकेड लगाए गए थे. प्रर्शनकारी इसे भी लांघने की कोशिश करने लगे. इस बीच, पुलिस ने मोर्चा संभाला और झड़प हो गई. पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए भीड़ को तितर-बितर किया. नौबत हाथापाई की बन गई. इस पूरे घटनाक्रम में पुलिसकर्मियों समेत 10 लोग घायल हो गए. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. पूरा हंगामा करीब 4 घंटे तक चला.
मस्जिद के विवाद में राजनीति गरमाई
- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, सरकार कानून को हाथ में लेने वाले लोगों से सख्ती से निपटेगी. किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. मामले को राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का सभी को अधिकार है. लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना प्रदर्शन करना चाहिए. सभी समुदाय के लोगों की रक्षा करना भी राज्य सरकार का दायित्व है.
- बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा, स्थानीय लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उन लोगों पर लाठीचार्ज और वॉटर कैनन इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा पहले दिन से ही पक्षपात पूर्ण कार्रवाई की जा रही है. जब यह स्पष्ट है कि मस्जिद कानूनी नहीं है तो न्यायोचित कार्रवाई की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री एक्शन लेने की बजाय प्रदर्शनकारियों को धमकाते रहे. यह सरकार की नाकामी है. सरकार का रवैया बेहद नकारात्मक रहा है. सीएम ने किसी से बात नहीं की और ना किसी से शांति की अपील की और ना न्याय का आश्वासन दिया. बीजेपी का कहना है कि यह कोई सामान्य मामला नहीं है, बल्कि बेहद संवेदनशील मसला है. ये जनभावना से जुड़ा मामला है. ठाकुर कहते हैं, पहले से ही अंदाजा था कि हिंदू समुदाय में गुस्सा है. हमने विधानसभा में पहले ही कहा था कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए. सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
- कांग्रेस नेता और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 10 साल से यह पूरा मामला कमिश्नर कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट से फैसला आते ही सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी. किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है. विक्रमादित्य का कहना था कि 5 साल नगर निगम में बीजेपी के मेयर थे और उससे पहले 5 साल सीपीएम के मेयर थे. हम इस मामले में राजनीति नहीं करना चाहते हैं.
- बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, राहुल गांधी कहते हैं कि डरो मत, लेकिन हिमाचल की कांग्रेस सरकार डर रही है. वे आज अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस सरकार अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने से डरती है.
- शिमला के एसपी संजीव गांधी कहते हैं, हमने सभी से अपील की है कि शांति बनाए रखी जानी चाहिए. बीएनएसएस की धारा 163 लागू की गई थी. निषेधाज्ञा का उल्लंघन हुआ है. हमने स्थानीय के साथ एक बैठक भी की थी. उन्होंने आश्वासन दिया था कि सब कुछ शांतिपूर्ण होगा लेकिन कल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और बैरिकेड तोड़ दिए गए. पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. कानून के परिणाम सामने आएंगे. शांति तुरंत बहाल हो गई. नागरिक अपने दैनिक जीवन में व्यस्त हैं. हम दोहराते हैं कि सभी को संविधान और कानून में विश्वास रखना चाहिए. पथराव में कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. उसकी जांच होगी.
मस्जिद विवाद से कांग्रेस के लिए मुसीबत क्यों?
संजौली मस्जिद विवाद में BJP, प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' का आरोप लगाकर घेर रही है. चूंकि, जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं. मामला संवेदनशील है. इसका संदेश दूर तक जाएगा. इसलिए कांग्रेस सरकार हर कदम फूंककर आगे बढ़ रही है. बयानबाजी से लेकर एक्शन लेने में भी जल्दबाजी नहीं कर रही है. वहीं, बीजेपी को खुलकर कांग्रेस सरकार को घेरने का मौका हाथ लग गया है. जानकार कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सांप्रदायिक मुद्दों पर कम चर्चा होती रही है, लेकिन BJP ऐसे मुद्दों को उठाकर राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर सकती है. चूंकि कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष पार्टी की छवि बनाए रखना चाहती है. ऐसे में संजौली मस्जिद विवाद जैसे मुद्दे कांग्रेस की सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं. क्योंकि उन्हें इस मुद्दे को सुलझाने में संतुलन बनाए रखना होगा ताकि वे अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास बनाए रखें और साथ ही बहुसंख्यक समुदाय को नाराज ना करें.
माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस सरकार इस विवाद को हल नहीं कर पाती है तो उस पर प्रशासनिक विफलता का आरोप लग सकता है. इसका असर उनकी सरकार की छवि और आगामी चुनावों पर पड़ सकता है. फिलहाल, BJP इस मुद्दे के बहाने कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में लगी है, इससे कांग्रेस को राजनीतिक और प्रशासनिक मोर्चे पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है.