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चौटाला की रिहाई के साथ ही हरियणा में बढ़ी सियासी तपिश, क्या बनेगा नया समीकरण?

ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई के साथ ही हरियाणा की राजनी‍ति गर्म हो सकती है और नए सियासी समीकरण बनने की संभावना है. ऐसे में चर्चा है कि चौटाला की रिहाई इनेलो के लिए संजीवनी का काम करेगी, लेकिन कानूनी तौर पर वो सक्रिय राजनीति नहीं कर पाएंगे. जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि दस साल की सजा वाले मुजरिम को अपनी सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकते.

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ओमप्रकाश चौटाला
ओमप्रकाश चौटाला
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओमप्रकाश चौटाला जल्द ही जेल से रिहा होंगे
  • चौटाला की रिहाई से हरियाणा की सियासत गर्म
  • कांग्रेस-इनेलो गठबंधन पर तस्वीर साफ होगी

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी हो गई है. चौटाला की रिहाई के साथ ही हरियाणा की राजनी‍ति गर्म हो सकती है और नए सियासी समीकरण बनने की संभावना है. ऐसे में चर्चा है कि चौटाला की रिहाई इनेलो के लिए संजीवनी का काम करेगी, लेकिन कानूनी तौर पर वो सक्रिय राजनीति नहीं कर पाएंगे. जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि दस साल की सजा वाले मुजरिम को अपनी सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, चुनाव आयोग चाहे तो उन्हें राहत दे सकता है. 

बता दें कि फरवरी, 2013 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को तीन अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ जाली दस्तावेजों का का उपयोग करके राज्य में तीन हजार से अधिक शिक्षकों की अवैध रूप से भर्ती करने के आरोप में सीबीआई की विशेष अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी. लेकिन दिल्ली सरकार ने 10 साल सजायाफ्ता कैदियों की सजा में नियमित मिलने वाली छूट के अलावा छह माह की छूट दी थी. चौटाला नियमित छूट को मिलाकर साढ़े नौ साल की सजा काट चुके हैं. ऐसे में उनकी रिहाई हो रही है. 

चौटाला की रिहाई से सियासी तपिश बढी

ओमप्रकाश चौटाला के जेल से बाहर आते ही प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से सरगर्मी तेज हो सकती है. चौटाला के खुलकर सियासी मैदान में उतरने से हरियाणा की सियासत में नई हलचल आएगी. पिछले दिनों कांग्रेस और इनेलो के बीच नजदीकी की कयास लगाए जा रहे थे और अब इस मामले में स्थिति साफ हो सकती है. किसानों के आंदोलन के समर्थन में ओमप्रकाश चौटाला के छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला हरियाणा विधानसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे चु‍के हैं, लेकिन राज्‍य के किसानों पर अपनी पकड़ बनाने के लिए पार्टी अधिक सक्रियता दिखा सकेगा. 

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चौटाला के जेल में रहने को दौरान ही उनके परिवार में कलह हो गई थी और इसके चलते इनेलो से अलग होकर उनके पोते दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी का गठन कर लिया है. बीते विधानसभा चुनावों में दुष्यंत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 11 सीटें हासिल की थी और अब बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं. ऐसे में यही नहीं उन्हें राज्य सरकार में डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन किसान आंदोलन के चलते हरियाणा की सियासत में उनके राजनीतिक ग्राफ गिरा है.

क्या जेजेपी-इनेलो के बीच टकराव बढ़ेगा

ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई से उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला और पोते दुष्‍यंत चौटाला की जेजेपी और इनेलो के बीच सियासी टकराव का नया रूप देखने को मिल सकता है. जेजेपी राज्‍य में भाजपा के साथ सत्‍ता में साझीदार है जबकि इनेलो का बीजेपी के साथ पहले गठबंधन रह चुका है. ऐसे में चौटाला के आने के बाद हरियाणा की सियासत में बड़े कई अहम बदलाव देखने को मिलेगें. चौटाला अभी बाहर भी नहीं आए कि जेजेपी और एनेलो के बीच देवीलाल की विरासत पर काबिज होने की जंग तेज हो गई है. 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी होने की खबर इनेलो के नेताओं और कार्यकर्ता उत्‍साह से भर गए. चौधरी देवीलाल की मूर्ती का दो दिन पहले दुष्यंत चौटाला ने अनावरण किया था, जिसे इनेलो नेता करण चौटाला ने गंगा जल से धोया पवित्र किया और अगरबत्ती दी. इस अवसर पर कर्ण चौटाला ने कहा कि जन नायक चौधरी देवी लाल के नाम का उपयोग करके कुछ लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं. वे लोग चौधरी देवी लाल के हितैषी नहीं हैं और न ही उन्हें चौधरी देवीलाल की नीतियों से लेना देना है.

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चौटाला के सक्रिय राजनीति में फंसा पेच

हालांकि, ओमप्रकाश चौटाला फिलहाल पैरोल पर तिहाड़ जेल से बाहर से हैं. तिहाड़ जेल के अनुसार, चौटाला के पैरोल से जेल में सरेंडर करने के बाद रिहा कर दिया जाएगा. इसके बावजूद लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8(1) के तहत रिहाई से 6 साल की अवधि तक यानी जून 2027 तक चौटाला चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन, चौटाला के पास कानून की धारा-11 के तहत अपनी अयोग्यता अवधि को कम करने या खत्म करने के लिए चुनाव आयोग के पास अर्जी दायर करने का विकल्प है. 

सितंबर 2019 में आयोग ने सिक्किम के वर्तमान सीएम प्रेम सिंह तमांग के चुनाव लड़ने के लिए लगी 6 वर्ष की अयोग्यता अवधि को घटाकर एक वर्ष एक माह कर दिया था. वे भी भ्रष्टाचार में दोषी ठहराए गए थे. इसी तर्ज पर ओम प्रकाश चौटाला को भी चुनाव आयोग राहत देता है कि राजनीतिक रूप से सक्रिय ही नहीं बल्कि चुनाव मैदान में उतरकर किस्मत आजमा सकते हैं. ऐसे में देखना है कि चौटाला के बाहर आते ही हरियाणा की सियासत में क्या सियासी बदलाव होते हैं? 

 

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