हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका लगातार चर्चाओं में बने रहते हैं. इस बार अशोक खेमका ने वाड्रा-डीएलएफ डील पर सवाल उठाए हैं. रविवार देर शाम खेमका ने एक ट्वीट किया जिसने कई तरह के सवालों को जन्म दिया. उन्होंने लिखा कि जो अफसर उस कमेटी का मेंबर था, जिसने 2012 में हुई रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ लाइसेंसिंग डील को क्लीन चिट दी थी. उसे अब रियल स्टेट रेगुलेटर फील्ड में आकर्षक पोस्ट दी गई है.
खेमका ने लिखा कि ऐसे लोगों पर सख्ती की बजाय हम इन्हें ढील दे रहे हैं. इनकी सफलता का और क्या राज हो सकता है? गौरतलब है कि इससे पहले भी अशोक खेमका कई बार सरकार को निशाने पर ले चुके हैं.
An officer, who was member of committee that gave clean chit to VADRA-DLF land-licensing deal in 2012, is now rewarded with the lucrative post of real estate regulator. Instead of being hauled up, some continue to make hay. What could be the secret mantra of their 'successes'?
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) November 26, 2017
आपको बता दें कि अभी हाल ही में अशोक खेमका का एक बार फिर तबादला हुआ था, यह उनका 51वां तबादला था. खेमका को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग से हटाकर खेल और युवा मामले विभाग का प्रिंसिपल सेकेट्ररी बनाया गया है.
गौरतलब है कि अशोक खेमका द्वारा उजागर गड़बड़ियों और अनियमितताओं के चलते हरियाणा की भाजपा सरकार के 3 मंत्रियों से उनका टकराव हो चुका है.
हाल ही सरकारी गाड़ी के दुरुपयोग के मामले में उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री कृष्ण कुमार बेदी को खूब खरी खोटी सुनाई थी. खेमका ने इसी विभाग के प्रधान सचिव के नाते उन 3.22 लाख लोगों की पेंशन बंद कर दी थी जिनके दस्तावेज मौजूद नहीं थे. इनमें से एक लाख लोगों की पेंशन आज भी बंद है.
इसके अलावा अशोक खेमका ने दिवाली के मौके पर सीधे- सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से भी पंगा ले लिया था. उन्होंने खट्टर के निजी स्टाफ को दिए जा रहे हजारों रुपए के नगद तोहफे का विरोध करते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया था. इससे पहले खेमका शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा और लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह को भी आड़े हाथ ले चुके हैं.