Gujrat News: गांधीनगर के किरणभाई पटेल की जिंदगी में रक्षाबंधन का पर्व इस बार बेहद खास है. दो साल पहले किडनी फेल होने की वजह से उनका जीवन खतरे में था. डॉक्टरों ने स्पष्ट कह दिया था कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है. उस समय पूरा परिवार सदमे में था. बेटा-बेटी ऑस्ट्रेलिया में रहते थे और पत्नी भगवान से प्रार्थना कर रही थीं. इस मुश्किल घड़ी में किरणभाई की चारों बड़ी बहनें उनके लिए सुरक्षा कवच बनकर खड़ी हो गईं.
किरणभाई डायलिसिस पर थे और किडनी डोनेट होने का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही बहनों को खबर मिली, सभी ने किडनी डोनेट करने की इच्छा जताई. सबसे बड़ी बहन कनाडा से भारत आईं, लेकिन उम्र और ब्लड प्रेशर की समस्या के कारण डॉक्टरों ने मना कर दिया. तीसरी बहन की मेडिकल जांच की गई तो पता चला कि वे जन्म से ही एक किडनी के साथ हैं, जबकि चौथी बहन पैर की समस्या के कारण आंशिक रूप से दिव्यांग हैं.

आखिरकार, दूसरी सबसे बड़ी बहन सुशीलाबेन की किडनी मैच हुई और तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया गया. किरणभाई बताते हैं कि मेरे जीजाजी भूपेंद्रभाई हमेशा बहन के साथ आते थे, हमें हौसला देते थे. उनके सहयोग के कारण ही बहन ने मुझे किडनी दी. वहीं सुशीलाबेन कहती हैं कि एक बहन अपने भाई का दर्द कैसे देख सकती है? हमने जैसे ही सुना, चारों बहनें तैयार हो गईं. मेरे ससुराल वालों समेत पूरे परिवार ने मेरा साथ दिया.
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अहमदाबाद के सरकारी किडनी अस्पताल (IKDRC) में सफल ऑपरेशन के बाद किरणभाई पिछले डेढ़ साल से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. पिछले तीन वर्षों में इसी अस्पताल में करीब 20 बहनों ने अपने भाइयों को और 3 भाइयों ने अपनी बहनों को किडनी डोनेट की है. यह सिर्फ ऑर्गन डोनेशन की मिसाल नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते के अटूट प्रेम और त्याग का प्रमाण भी है. रक्षाबंधन के दिन जब बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी रक्षा का वचन देती हैं, वहीं सुशीलाबेन ने इसे एक कदम आगे बढ़ाकर अपने भाई को जीवनदान देकर अनोखा रक्षासूत्र बांध दिया.