अहमदाबाद शहर के सोला और चाणक्यपुरी जैसे इलाकों में महिलाओं को लेकर लगाए गए कुछ पोस्टरों ने विवाद खड़ा कर दिया है. इन पोस्टरों में जो स्लोगन लिखे गए थे, वे बेहद आपत्तिजनक और महिलाओं के प्रति असंवेदनशील माने जा रहे हैं. एक पोस्टर पर लिखा था, 'ऐ रंगली, रात की पार्टी में जाने का नहीं… रेप - गैंगरेप हो सकता है', वहीं दूसरे पर लिखा था,'ऐ रंगला, अंधेरे में सुमसाम जगह पर रंगली को लेकर जाने का नहीं… रेप- गैंगरेप हो जाए तो…?'
दरअसल, इन पोस्टरों को सतर्कता ग्रुप द्वारा लगवाया गया था, जिन पर बतौर स्पॉन्सर अहमदाबाद शहर ट्रैफिक पुलिस का नाम भी छपा हुआ था. यही बात विवाद की सबसे बड़ी वजह बन गई. सवाल यह उठने लगे कि क्या वाकई ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे आपत्तिजनक स्लोगनों को सार्वजनिक करने की अनुमति दी थी और अगर दी थी, तो क्यों?
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मामला गरमाने के बाद अहमदाबाद ट्रैफिक पुलिस के एसीपी शैलेष मोदी ने सफाई देते हुए कहा कि सतर्कता ग्रुप ने इन पोस्टरों को जागरूकता के उद्देश्य से लगाया था. लेकिन जब पोस्टर के कंटेंट पर आपत्ति जताई गई, तो उन्हें तुरंत हटा दिया गया.
इस पूरे प्रकरण पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर करण बारोट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण की बातें करती है. वहीं दूसरी ओर ऐसे शर्मनाक स्लोगनों वाले पोस्टर ये साबित कर रहे हैं कि जमीनी सच्चाई क्या है. उन्होंने कहा, अगर सरकार महिलाओं की सुरक्षा के दावे करती है, तो फिर यह बताए कि रात में महिलाओं को बाहर निकलने की आज़ादी है या नहीं?
सरकार के दावों के अनुसार अहमदाबाद देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक है, जहां महिलाएं और बेटियां रात में भी बिना डर घूम सकती हैं. लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर पुलिस स्वयं इस तरह के स्लोगन के साथ संदेश देने लगे, तो क्या वास्तव में महिलाएं सुरक्षित हैं? क्या यह मानसिकता महिला स्वतंत्रता को कुचलने का संकेत नहीं है?