भारतीय नेवी में लंबे समय तक सर्विस देने वाला दुनिया का सबसे पुराना विमानवाहक युद्धपोत INS विराट अपने आखिरी सफर पर है. यह गुजरात में जहाज को तोड़ने वाले अंलग शिपब्रेकिंग यार्ड के लिए गुजरात की समुद्री सीमा में आ चुका है.
(रिपोर्ट: गोपी घांघर)
दरअसल, 30 साल तक भारतीय नेवी में और 20 साल तक ब्रिटिश नेवी में काम करने वाले INS विराट को 2017 में ही रिटायर कर दिया गया था. शुक्रवार को इस जहाज को मुबई से गुजरात के भावनगर के लिए रवाना किया गया था. दुनिया का ये अकेला ऐसा जहाज हे जो भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों सेनाओं का हिस्सा रह चुका है.
इस जहाज को अंलग शिपब्रेकिंग यार्ड के श्रीराम ग्रुप ने भारतीय नेवी के नीलामी में 38.54 करोड़ में खरीदा है. यह जहाज पिछले तीन साल से मुंबई के नवल डॉकयार्ड में था. विराट को खरीदने वाले श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन मुकेश पटेल का कहना है कि इसमें काफी अच्छी गुणवत्ता का स्टील और बुलेटप्रुफ मैटिरियल भी इस्तेमाल हुआ है.
1969 में इस जहाज को बनाया गया था, तब यह ब्रिटिश नेवी के लिए काम करता था., इसे 1987 में भारतीय नेवी में शामिल किया गया था. लहरों के सिकंदर के नाम से मशहूर आईएनएस विराट भारत का दूसरा विमान वाहक पोत है, जिसने भारतीय नौसेना में 30 वर्ष तक सेवा दी है. इससे पहले उसने ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दी. इसका ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था. जिसका मतलब होता है, 'जिसका समंदर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है.'
आईएनएस विराट एक प्रकार से चलता-फिरता शहर था. इस पर लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं. 226 मीटर लंबा और 49 मीटर चौड़े आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में हिस्सा लिया था.