विश्व हिंदू परिषद (VHP) के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि आदिवासी दूसरे धर्म को अपना लेते हैं, उन्हें संविधान के तहत मिलने वाले आरक्षण और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
दरअसल, करीब दो साल बाद वीएचपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रीयता के मुद्दे पर सांसदों से मुलाकात और चर्चा शुरू की है. अब तक भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, शिवसेना, नेशनल कॉन्फ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई (एम) और आप सहित 329 सांसदों के साथ बातचीत और मुलाकात की जा चुकी है.
कानून बनाने की मांग
वीएचपी ने सांसदों से मुलाकात और बातचीत के दौरान लालच, भय या धोखे से धर्मांतरण के मुद्दे को उनके आगे रखा. इसके अलावा आदिवासियों के मुद्दे को भी उठाया. कहा गया कि वे अपने पूजा के तरीके, परंपरा और आस्था को बदल देते हैं लेकिन सविंधान से आदिवासियों को प्राप्त आरक्षण और अन्य सुविधा को लेते रहते हैं. इस संबंध में वीएचपी ने केंद्र और राज्य सरकारों से एक सख्त कानून बनाने की मांग की और सांसदों से भी सुझाव मांगे.
वीएचपी ने सांसदों से चर्चा के दौरान इस मुद्दे को भी उठाया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के खिलाफ विश्व के अन्य देशों की राय कैसे जुटानी चाहिए. कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि वीएचपी और सांसदों के बीच बातचीत में आम सहमति और विचारों के कई मुद्दे सामने आए हैं.
वीएचपी ने सांसदों से मुलाकात और चर्चा का अभियान दो चरण में चला रही है. पहले चरण में बंगाल, उत्तर, मध्य, पश्चिमी, उत्तर-पूर्व के सांसदों से मुलाकात की गई है जबकि दूसरे चरण के तहत बजट सत्र के दौरान ओडिशा और दक्षिण भारत के सांसदों से मुलाकात की योजना है.