scorecardresearch
 

सुप्रीम कोर्ट की सीलिंग मॉनि​टरिंग कमेटी को मिले आयकर नोटिस, IT अफसर अदालत में तलब

एमिकस क्यूरी गुरु कृष्ण कुमार ने पीठ को बताया कि आयकर विभाग ने आयकर की धारा 133(6) के तहत निगरानी समिति को ब्याज से अर्जित आय के संबंध में नोटिस जारी किया है. समिति ने आयकर विभाग के इस नोटिस का जवाब 22 मार्च, 17 अप्रैल और 27 अगस्त को विधिवत पत्र लिखकर दिया था. लेकिन नोटिस का निपटारा अभी तक नहीं हुआ है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीलिंग मॉनिटरिंग कमिटी को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा. (PTI Photo)
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीलिंग मॉनिटरिंग कमिटी को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा. (PTI Photo)

सुप्रीम कोर्ट उस समय हैरान हो गया जब पीठ को बताया गया कि आयकर विभाग ने दिल्ली में अवैध निर्माण को लेकर गठित मॉनिटरिंग कमेटी को ही इनकम टैक्स नोटिस भेज दिया है. आयकर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में जमा कराई जाने वाली रकम पर आयकर अदा करने का फरमान जारी किया है. इस लापरवाही से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लेने वाले संबंधित आयकर अधिकारी को अदालत में पेश होने को कहा है. जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान  कोर्ट की ओर से गठित पैनल को भेजे गए आयकर नोटिस पर आपत्ति जताई.

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी गुरु कृष्ण कुमार ने पीठ को बताया कि मॉनिटरिंग कमेटी को तीन बार आईटी नोटिस भेजा गया है. कमेटी द्वारा आयकर विभाग को सूचित किया गया था कि उसे आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करना चाहिए, क्योंकि एकत्रित धन सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को भेजा जाता है. फिर भी आयकर विभाग समिति को तीन बार नोटिस भेज चुका है. आयकर विभाग ने नोटिस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति की 188 वीं रिपोर्ट का हवाला दिया. समिति ने इस मुद्दे को उठाया और आयकर विभाग से आ रही समस्या कोर्ट के समक्ष उठाई. समिति ने बताया कि स्थायी डी-सीलिंग प्रोसेसिंग फीस के रूप में उसे ब्याज सहित कुल 23.10 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. यह राशि समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को हस्तांतरित भी की गई है. इस मद में 8 अगस्त तक कुल शेष राशि 48,863 रुपये है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'अजित पवार की NCP को भी मिलना चाहिए अलग चुनावी सिंबल', सुप्रिया सुले की सुप्रीम कोर्ट से मांग

रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी समिति द्वारा प्रोसेसिंग फीस के रूप में एकत्रित की गई राशि 1 सितंबर से शुरू होने वाले तिमाही आधार पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तांतरित की जाएगी. गुरु कृष्ण कुमार ने पीठ को बताया कि आयकर विभाग ने आयकर की धारा 133(6) के तहत निगरानी समिति को ब्याज से अर्जित आय के संबंध में नोटिस जारी किया है. समिति ने आयकर विभाग के इस नोटिस का जवाब 22 मार्च, 17 अप्रैल और 27 अगस्त को विधिवत पत्र लिखकर दिया था. लेकिन नोटिस का निपटारा अभी तक नहीं हुआ है. उन्होंने अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया. इस पर पीठ ने सहमति जताते हुए संबंधित अधिकारी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि अधिकारी को ये ध्यान रखना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निगरानी समिति बनाई गई है. इसलिए, निगरानी समिति को अपने स्तर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है.

यह भी पढ़ें: चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर SC ने मद्रास हाईकोर्ट का फैसला किया रद्द, जानें क्या है पूरा मामला

फंड का रखरखाव सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी और निर्देश के तहत किया जाता है. ब्याज सहित सभी निधियों को समय-समय पर अदालत के पास भेजा जाता है. पैनल ने आयकर विभाग को लिखा था और 2006 के आदेश सहित सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों को भी संलग्न किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च, 2006 को चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव, ईपीसीए के अध्यक्ष भूरे लाल और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सोम झिंगोन की तीन सदस्यीय निगरानी समिति गठित की थी. इस समिति का काम अदालत के निर्देशों के अनुसार कानून के कार्यान्वयन की निगरानी करते हुए उल्लंघन करने वाले परिसरों को सील करना है. कोर्ट ने आयकर विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है और कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement