खस्ताहाल नॉर्थ दिल्ली नगर निगम के करीब 1 लाख कर्मचारी मायूस हैं. क्योंकि उन्हें अभी अगस्त तक की ही सैलरी मिली है. नॉर्थ दिल्ली नगर निगम के आंकड़े कहते हैं कि डी कैटेगरी के 35,392 कर्मचारियों की सैलरी 121 करोड़, सी ग्रुप के 3,369 कर्मचारियों की 23 करोड़, बी ग्रुप के 10,566 कर्मचारियों की 82 करोड़ और ए ग्रुप के 1,427 की 24 करोड़ रुपए है. यानी कुल मिला दें तो 50,654 कर्मचारियों की एक महीने की सैलरी 250 करोड़ रुपए आती है. निगम ने पैसे ना होने के पीछे दिल्ली सरकार को जिम्मदार ठहराया है.
दिल्ली बीजेपी के महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि संविधान की धारा 243 के मुताबिक राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि उनके अंतर्गत आने वाले निगम को वित्त दें. क्योंकि निगम सर्विस देता है और प्रॉफिट मेंकिंग नही करता है. दिल्ली फिनांसिएल कमीशन की रिकमेंडेशन कहती है कि दिल्ली के बजट 65 हजार करोड़ का साढ़े 12 प्रतिशत निगमों को दिया जाना चाहिए. हाल ही में कोर्ट की फटकार के बाद ही दिल्ली सरकार ने 996 करोड़ रूपया रिलीज किया.
उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले निगम चुनावों में लाखों कर्मचारी सैलरी के संकट को मुख्य मुद्दे के तौर पर उठाएंगे. कंफेडरेशन ऑफ एमसीडी एम्पालयज यूनियन तीनों निगमों में काम करने वाले कर्मचारी और पेंशनर्स को रिप्रजेंट करती है. यूनियन के कन्वीनर एपी खान ने कहा कि त्योहारों के पहले बोनस और एरियर तक नहीं मिला है. तीनों निगम को एक कर देना ही इस समस्या का हल है. 1 लाख कर्मचारियों से जुड़े उनके परिवार अगले साल होने वाले निगम चुनाव में सैलरी संकट का बड़ा मुद्दा बनाएंगे.