scorecardresearch
 

पांच दिवसीय दौरे के बाद दिल्ली लौटे PM मोदी, नागपुर में संघ ने दिया बड़ा झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की पांच दिवसीय दौरे के बाद रविवार तड़के भारत वापस लौट आए हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने सेशेल्स, मॉरिशस और श्रीलंका की यात्रा की. मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लिट्टे के गढ़ रहे जाफना शहर का दौरा किया.

Advertisement
X
वतन लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
वतन लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की पांच दिवसीय दौरे के बाद रविवार तड़के भारत वापस लौट आए हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने सेशेल्स, मॉरिशस और श्रीलंका की यात्रा की. मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लिट्टे के गढ़ रहे जाफना शहर का दौरा किया. अपने अंतिम पड़ाव के तहत श्रीलंका पहुंचे मोदी ने कोलंबो की यात्रा की. साथ ही उन्होंने श्रीलंका की प्राचीन राजधानी अनुराधापुरा, तलइमन्नार और जाफना का भी दौरा किया.

पीएम मोदी के दौरे के समापन पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रम सिंघे उन्हें अलविदा कहने एयरपोर्ट पहुंचे. उनके साथ पर्यटन मंत्री अर्जुन रणतुंगा भी थे. 28 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने श्रीलंका का दौरा किया. शनिवार को तलाईमन्नार में मोदी ने भारत की मदद से तैयार रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया. श्रीलंका दौरे के आखिरी दिन पीएम ने जाफना का दौरा किया. वहां उन्होंने युद्ध में तबाह हुए लोगों को भारत की मदद से बनाए 20 हजार घर सौंपे. इस दौरान मोदी ने ऐतिहासिक नगर अनुराधापुरा का भी दौरा किया और श्रीमहाबोधी वृक्ष की पूजा अर्चना की. तीन देशों की इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने कई द्व‍िपक्षीय करार किए.

मोदी की पसंद को संघ की 'ना'
दूसरी ओर, जब मोदी श्रीलंका में दोस्ती और भाईचारा का संदेश दे रहे थे, ठीक उसी वक्त नागपुर के आरएसएस मुख्यालय से मोदी सरकार के लिए एक संदेशा भी आया. संघ ने भैयाजी जोशी के नाम पर तीसरी बार मुहर लगा दी और मोदी के पसंदीदा दत्तात्रेय होसबोले सर कार्यवाह बनने से चूक गए. नागपुर का संदेश साफ है. भैयाजी जोशी की सेहत भले ही उनका साथ ना दे रहा हो, लेकिन संघ उनके साथ खड़ा है. आरएसएस के ताजा चिंतन का निचोड़ यही है कि भैयाजी जोशी ही तीसरी बार आरएसएस के सरकार्यवाह होंगे.

Advertisement

गौरतलब है कि आरएसएस में सर कार्यवाहक का कद नंबर-दो का होता है. संघ प्रमुख के बाद संगठन में सर कायर्वाह की ही चलती है. सारे संगठनों से तालमेल का जिम्मा, प्रचार-प्रसार और अहम नीतियां तय करने में भी सर कार्यवाहक की भूमिका ही अहम होती है. भैयाजी जोशी को 2012 में दूसरी बार सर कार्यवाह चुना गया था. लेकिन इस बार भैयाजी जोशी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जिम्मेदारी से मुक्ति मांगी थी. हालांकि, संघ का एक धड़ा दत्तात्रेय होसबोले को उनकी जगह लाना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

कैसे कटा दत्तात्रेय का पत्ता
दत्तात्रेय होसबले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं. लेकिन बताया जाता है कि संघ ऐसे किसी शख्स के कंधे पर सर कार्यवाह की जिम्मेदारी डालने से कतरा गया, जो रिश्ते की वजह से मोदी सरकार से दो टूक बात करने में हिचक जाए.

नागपुर में रविवार को आरएसएस की प्रतिनिधि सभा का समापन भी है. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत 14 सौ प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे. संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी भी प्रतिनिधियों को दोपहर 12:30 बजे संबोधित करेंगे.

Advertisement
Advertisement