दिल्ली के कला, संस्कृति और भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने घोषणा की है कि इस बार राजधानी में छठ पूजा के लिए 1,000 से अधिक स्थानों पर आयोजन किया जाएगा. यह अब तक का सबसे बड़ा प्रबंध माना जा रहा है. उन्होंने बताया कि यमुना नदी के घाटों पर कई वर्षों बाद विशेष तैयारियां की जा रही हैं, जिससे श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है.
सिंगल-विंडो प्रणाली से होगी आसानी
मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि पूजा के लिए अनुमति लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सिंगल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम लागू किया गया है. यह व्यवस्था पहले कांवड़ यात्रा, दुर्गा पूजा और रामलीला आयोजनों में भी सफल रही है. हर नगर निगम जोन में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो सभी व्यवस्थाओं का समन्वय करेगा.
मुख्य स्थानों पर बनाए जाएंगे मॉडल छठ घाट
इस बार कुछ प्रमुख स्थानों जैसे द्वारका, हाठी घाट, पीतमपुरा और सोनीया विहार को ‘मॉडल छठ घाट’ के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां सजावटी द्वार, छठी मइया और सूर्य देव की मूर्तियां, और आकर्षक रोशनी के साथ भक्तिमय वातावरण तैयार किया जाएगा.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी होगी धूम
पूर्वांचली परंपराओं और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कला, संस्कृति और भाषा विभाग की ओर से 200 से अधिक स्थलों पर स्थानीय कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मिश्रा ने कहा, “छठ महापर्व न केवल श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह दिल्ली की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाता है.”
सुरक्षा, सफाई और सुविधा पर विशेष ध्यान
दिल्ली नगर निगम (MCD) को सभी घाटों पर सफाईकर्मियों की पर्याप्त तैनाती के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मोबाइल टॉयलेट, एंबुलेंस, अग्निशमन दल और पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाएगी. श्रद्धालुओं के लिए सुबह अर्घ्य के बाद नाश्ता और पेयजल की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
पूर्वांचली समुदाय के लिए खास महत्व
छठ पूजा पूर्वांचली समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण पर्व है. यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार सूर्य देव की उपासना को समर्पित है. “नहाय-खाय” से इसकी शुरुआत होती है, जिसमें भक्त स्नान कर शुद्ध भोजन और प्रसाद जैसे “चना दाल” और “कद्दू भात” बनाते हैं. दिल्ली में पूर्वांचली आबादी कुल मतदाताओं का लगभग 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा है, ऐसे में यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है.