दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा और इसकी समितियों के काम में हस्तक्षेप का मुद्दा उठाया गया. आम आदमी पार्टी के विधायकों ने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा और इसकी समितियों के अधिकार क्षेत्र में असंवैधानिक और अनाधिकृत हस्तक्षेप पर सदन में अल्पकालिक चर्चा की.
सदन में चर्चा के दौरान 'आप' विधायक राघव चड्ढा ने 5 आपत्तियां जताते हुए कहा कि यह कानून आने वाले समय मे सदन में बैठे हर सदस्य को नपुंसक बना देगा. यह कानून संविधान और संविधान की संरचना की हत्या है. उन्होंने कहा, ''जबसे हमारी सरकार बनी बीजेपी के पेट में दर्द शुरू हो गया. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि दिल्ली को चुनी हुई सरकार और चुने हुए मंत्रियों का मंत्रिमंडल चलाएगा.''
राघव चड्ढा ने जताईं 5 आपत्तियां
1. सेक्शन 21- गवर्नमेंट को उराज्यपाल से रिप्लेस कर दिया. ये सदन पावरलेस लोगों में तब्दील कर दिया गया. एक योजनाबद्ध तरीके से दिल्ली के लोगों के मत के अधिकार का हनन कर दिया गया.
2. सेक्शन 33: दिल्ली विधनसभा कानून नहीं रूल्स बनाएगी. यह नियम लोकसभा के नियम से inconsistent रहेगी तो वो मान्य नहीं होगी. सेक्शन 33- दिल्ली की विधानसभा कोई भी ऐसा रूल नहीं बना सकती अपने लिए और अपनी समितियों के लिए जो रोजमर्रा के एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े हों. तो हम क्या नाइजीरिया और युगांडा और उज़बेकिस्तान के विषयों पर बात करेंगे.
3. उन्होंने कहा कि कोई इन्क्वायरी करने की ताकत दिल्ली विधानसभा के पास नहीं होगी. दिल्ली दंगों के बाद पीस और हारमनी कमेटी बनाई. जांच में फेसबुक का नाम सामने आया. फेसबुक ने सोचा कि हम संसद की समिति के साथ पेश हो चुके हैं तो हम दिल्ली की विधनसभा के सामने पेश होकर क्या करेंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हक में फैसला दिया. जो शक्तियां हमें मिली हैं वो बाबा साहेब अंबेडकर का रचा हुआ भारत का संविधान देता है. जीएनसीटीडी एक्ट नहीं देता है.
4. चौथी आपत्ति सेक्शन 25: उपराज्यपाल को ये ताकत दे दी कि अगर विधानसभा से पास कोई कानून किसी भी विषय से सम्बंधित हो तो वो राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए विचारधाराधीन रख सकते हैं.
5. सेक्शन 44 में कहा है एलजी खुद बताएंगे कि जिस विषय पर निर्णय लेने जा रहे हैं उसको पहले एलजी के पास भेजो, एलजी उस पर अपना विचार देंगे फिर उसे पास किया जाएगा.
आप विधायक ने फाड़ी एक्ट की कॉपी
चर्चा की शुरुआत में ही आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट की प्रति फाड़ दी. इस दौरान आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा की कमेटी का अधिकार इसलिए छीना गया, क्योंकि उसकी जांच में दिल्ली दंगों में भाजपा की भूमिका का सबूत आने वाला था, उनका चेहरा बेनकाब होने वाला था.
केंद्र सरकार लोकतंत्र को खत्म करके अराजकता लाने की कोशिश कर रही है. एक्ट में बदलाव संघीय ढांचे पर चोट है, इसलिए तत्काल प्रभाव से इसे खत्म करना चाहिए. भाजपा आत्मनिर्भर की बात करती है, लेकिन दिल्ली की आत्मनिर्भर सरकार को इन्होंने एलजी सरकार बनाने का काम किया है.