अतिक्रमण हटाओ अभियान के इस सीजन में सुप्रीम कोर्ट सरोजिनी नगर में बसी झुग्गियां हटाने के मामले पर 25 अप्रैल को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के सामने पीड़ित झुग्गी वादियों की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने शुक्रवार को इस मामले में जल्द सुनवाई की गुहार लगाई. पीठ ने प्रार्थना स्वीकार करते हुए इस मामले को आगामी सोमवार यानी 25 अप्रैल को सूचीबद्ध करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को दिया.
विकास सिंह ने पीठ को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की पुनर्वास मुहैया कराने के बाद ही उजाड़ने की प्रार्थना अस्वीकार करते हुए एकल जज पीठ के आदेश में कोई तब्दीली करने से मना कर दिया था. हाईकोर्ट का झुग्गियां ध्वस्त करने से सुरक्षा का आदेश सोमवार तक ही है. लिहाजा कोर्ट इस मामले में स्टेटस को यानी यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दे. कोर्ट ने इस प्रार्थना को तो ठुकरा दिया, लेकिन ये अर्जी समुचित पीठ के आगे सूचीबद्ध करने को कहा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को सरोजिनी नगर में करीब दो सौ झुग्गी में हजार लोगों की बस्ती खाली कराने का आदेश दिया था. इन लोगों ने दिल्ली झुग्गी पुनर्वास नीति का हवाला दिया है जिसमें साफ कहा गया है कि एक जनवरी 2006 से पहले अस्तित्व में आई झुग्गी बस्तियों को हटाने से पहले उनका पुनर्वास किया जाएगा. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बाबत दिए गए पुराने फैसलों को भी दरकिनार कर दिया गया है.
हाल के समय में जहांगीरपुरी का मामला सुर्ख़ियों में है. हिंसा और फिर हुई तोड़फोड़ के बाद हलचल तेज है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जहांगीरपुरी में अवैध निर्माणों को तोड़ने पर रोक लगा दी है. इस बीच वहां नेताओं का पहुंचना जारी है. हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुरू कर दी है. इसके लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने ईडी को पत्र लिखा था. कहा था कि PMLA के तहत उसपर एक्शन लिया जाए.
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