केंद्र सरकार दिल्ली की विरासत और इतिहास को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए दिल्ली के तोमर वंश के राजाओं से जुड़े स्थलों का संरक्षण करने जा रही है और सरकार की योजना यहां एक संग्रहालय बनाने की है. जहां दिल्ली पर 8 से 12वीं सदी राज करने वाले तोमर राजाओं से जुड़ी धरोहरों को सुरक्षित रखा जाएगा.
बता दें कि हाल ही में राष्ट्रीय स्मारक अथॉरिटी ने इतिहास के पन्नों में गुम हो गए तोमर राजा अनंगपाल द्वितीय की विरासत पर एक सेमिनार आयोजित किया था. चर्चित राजा पृथ्वीराज चव्हाण अनंगपाल द्वितीय के परपोते थे. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सेमिनार के दौरान राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के चेयरमैन तरुण विजय से जब पूछा गया कि इस सेमिनार का उद्देश्य क्या है तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा, "इतिहास बनाने वालों के खिलाफ इतिहास लिखने वालों ने जो नाइंसाफी की है उसे सही किया जा रहा है."
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली को व्यापक पहचान देने के लिए इसे मुगल शासकों से इतर हिन्दू राजाओं की विरासत के तौर पर पेश करने की योजना बना रही है.
तरुण विजय ने कहा कि पिछले साल एक क्षेत्र भ्रमण के दौरान हमें पता चला कि अनंगपाल द्वितीय ने धिल्लिकापुरी की स्थापना की थी जो बाद में चलकर दिल्ली बन गई. राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण अनंगपाल द्वितीय की विरासत का अध्ययन करने के लिए जेएनयू, पंजाब विश्वविद्यालय, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद और दिल्ली विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया है.
इस दौरान एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी. इसे विदेश भी ले जाया जाएगा ताकि विदेशियों को दिल्ली की स्थापना करने वालों के बारे में जानकारी मिल सके.
बता दें कि अनंगपाल द्वितीय जिन्हें इतिहास और लोककथाओं में अनंगपाल तोमर के नाम से जाना जाता है वे तोमर वंश से संबंध रहते हैं. इस राजवंश ने 8वीं से 12वीं सदी तक आधुनिक दिल्ली और हरियाणा के इलाकों में शासन किया था. इसकी पुष्टि करने के लिए पुरातात्विक महत्व के सिक्के मिले हैं.
भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व संयुक्त महानिदेशक बीआर मणि ने सेमिनार में कहा गया कि अनंगपाल द्वितीय ने इंद्रप्रस्थ को बसाने में और इसे इसका वर्तमान नाम देने में अहम रोल निभाया है. जब उन्होंने 11वीं सदी में यहां की सत्ता संभाली तो ये क्षेत्र टूटे-फूटे और ध्वस्त हालत में थे लेकिन उन्होंने किला लाल कोट और अनंगताल की बावली का निर्माण कराया.
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य उस जानकारी को आम जनता तक ले जाना है जिसके बारे में अभी सिर्फ इतिहासकार, पुरातत्ववेता और शिक्षाविद जानते हैं. दक्षिण दिल्ली में लाल कोट और अनंग ताल की 1992 से 1995 के बीच खुदाई करने वाले बीआर मणि कहते हैं कि अनंगपाल तोमर के पूर्वजों का लिंक महाभारत काल के पांडवों तक जाता है.
इस सेमिनार में बीजेपी के कई नेता, सांसद शामिल हुए. केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि अनंगपाल की विरासत को दुनिया के सामने लाने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे,. इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी के प्रस्तावों में दिल्ली एयरपोर्ट पर अनंगपाल द्वितीय की प्रतिमा का निर्माण, और उनकी विरासत को दर्शाते एक संग्रहालय का निर्माण शामिल है.
इसके अलावा ASI दक्षिणी दिल्ली के महरील में स्थित लाल कोट जिसे किला राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है, वहां पर खुदाई और संरक्षण की योजना भी बना रही है.