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महिला अपराध में देश में सबसे ऊपर दिल्ली, महिला पुलिसकर्मी भी नहीं सुरक्षित: NCRB

दिल्ली पुलिस की महिला पुलिसकर्मियों को सेक्सुअली हैरेस किया जाता है. चिठ्ठा मुंशी फीमेल स्टाफ को परेशान करता है. यह खुलासा एनसीआरबी की रिपोर्ट में हुआ है. साउथ दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाना में पदस्थ महिला स्टाफ ने इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई है. महिला पुलिसकर्मियों ने बताया कि ड्यूटी लगाने के बदले मुंशी पैसों की डिमांड करता है.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया कि देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में दिल्ली पहले पायदान पर है. रिपोर्ट की खास बात यह है कि आम महिलाओं को तो छोड़ दीजिए, दिल्ली की महिला पुलिसकर्मी भी सुरक्षित नहीं है. महिला पुलिसकर्मियों को सेक्सुअली हैरेस किए जाने का उल्लेख इसमें किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला पुलिसकर्मियों को चिट्ठा मुंशी द्वारा परेशान किया जाता है. सेक्सुअली हैरेस करने की कोशिश भी की जाती है. मुंशी द्वारा हैरेस किए जाने की शिकायत दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों तक भी पहुंची है.

महिला पुलिसकर्मियों ने दर्ज कराई लिखित शिकायत.
महिला पुलिसकर्मियों ने दर्ज कराई लिखित शिकायत.

फतेहपुर बेरी थाने की महिला पुलिसकर्मियों ने की शिकायत

दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाने में पदस्थ सभी महिला पुलिसकर्मियों ने आला अधिकारियों से मुंशी की लिखित में शिकायत की है. उन्होंने बताया कि ड्यूटी पर तैनात करने के बदले चिठ्ठा मुंशी पैसों की डिमांड करता है. उनके साथ गलत व्यवहार करता है. सैक्सुअली हैरेस करने का प्रयास करता है. 

सभी फीमेल स्टाफ ने चिट्ठा मुंशी के खिलाफ लिखित शिकायत थाने के एसएचओ को दी है. एसएचओ ने वरिष्ठ अधिकारियों को मामले से अवगत कराया है. शिकायत मिलने पर दिल्ली पुलिस मामले की इंटरनल जांच कर रही है.

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दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी है महिला 

मामले में हैरानी की बात यह है कि दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी महिला हैं. इसके बावजूद फीमेल स्टाफ के साथ हैरेसमेंट होने की बात सामने आ रही है. डीसीपी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही हैं. आजतक ने उनसे इस मामले में संपर्क करना चाहा, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. जब व्हाट्सएप पर जानकारी लेना चाही, तो वहां भी रिप्लाई नहीं दिया.

जब महिला पुलिस ही सुरक्षित नहीं तो आम जनता का क्या?

रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिह्न लग गया है. सवाल यह है कि जब महिला पुलिस ही सुरक्षित नहीं है, तो आम महिलाओं का क्या होगा? 

 

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