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पूर्व सैनिकों और उनके परिवार वालों को रातों रात मकान खाली करने का मिला नोटिस

दिल्ली के नारायणा इलाके में साल 1968 से बसे सैनिक सदन के सरकारी फ्लैट में एक्स आर्मी मैन और उनके परिवार वाले रह रहे हैं. लेकिन 1968 से लगभग 52 साल बीत जाने के बाद आज इन लोगों को राज्य सैनिक बोर्ड की तरफ से 24 घंटे में मकान खाली करने का नोटिस थमा दिया गया है.

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दिल्ली के नारायणा इलाके में साल 1968 से बसे सैनिक सदन (फोटो-सुशांत मेहरा)
दिल्ली के नारायणा इलाके में साल 1968 से बसे सैनिक सदन (फोटो-सुशांत मेहरा)

दिल्ली के नारायणा इलाके में साल 1968 से बसे सैनिक सदन के लगभग 24 परिवार इन दिनों खौफ के साये में जीने को मजबूर है. खौफ किसी और चीज का नहीं बल्कि 52 साल से जिस आशियाने में वो अपनी जिंदगी बिताते आ रहे हैं उस आशियाने को छिनता देखने का खौफ सता रहा है. ये लोग कोई आम लोग नहीं बल्कि इनके परिवार वालों ने सन 1962 और सन 1965 की लड़ाई में अपना योगदान दिया है. जिसके बाद इन लोगों को 1968 में 24 सरकारी फ्लैट राज्य सैनिक बोर्ड की तरफ से दिए गए थे.

इन सरकारी फ्लैट में एक्स आर्मी मैन और उनके परिवार वाले रह रहे हैं लेकिन 1968 से लगभग 52 साल बीत जाने के बाद आज इन लोगों को राज्य सैनिक बोर्ड की तरफ से 24 घंटे में मकान खाली करने का नोटिस थमा दिया गया है.

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दरअसल, नारायणा के सैनिक सदन में लगभग 2 सोसाइटी हैं जिनमें 24 फ्लैट सेल हैं. इन 24 वर्षों में तकरीबन 125 के आसपास एक्स आर्मी मैन के परिवार वाले रह रहे हैं जिनको सन 1968 में एक्स आर्मी मैन होने के नाते आवंटित किए गए थे. तभी से एक्स आर्मी मैन और उनके परिवार वाले इन फ्लैटों में रह रहे हैं. अब अचानक से इन परिवारवालों को राज्य सैनिक की तरफ नोटिस दिया गया है. इसके बाद मकान खाली करने को लेकर यह लोग परेशान हैं.

पिछले 52 साल से रामकुमार टंडन और उनके भाई राकेश कुमार टंडन सैनिक सदन में रह रहे हैं. यह फ्लैट उनके पिता राजकुमार टंडन जो कि एक्स आर्मी ऑफिसर थे उनको एलॉट किया गया था. सन 1962 और 1965 की लड़ाई में उनका एक बड़ा योगदान था. इस योगदान के लिए उनको कई दर्जन भर मेडल भी मिले लेकिन आज उनका पूरा परिवार अपने पिता की कमी महसूस कर रहा है. क्योंकि जो मकान उनके पिता को परिवार वालों के साथ रहने के लिए दिया गया था उसको अब राज्य सैनिक बोर्ड की तरफ से खाली कराने का आदेश दिया गया है.

रामकुमार टंडन की माने तो यह मकान पिछले कई सालों से उनके पास है और साल 2017 में उपराज्यपाल की तरफ से उनको इजाजत भी मिल गई थी. बावजूद इसके उनको अब नोटिस थमा दिया गया है. यह लोग अब एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाह रहे हैं.

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यही हाल कुछ अनुपमा अरोड़ा का भी है अनुपमा अरोड़ा के पिता को यह फ्लैट बतौर एक्स आर्मी मैन होने के चलते दिया गया था. उनके भी पिता का 1962 की लड़ाई में एक अहम योगदान था, लेकिन अनुपमा की माने तो जो नोटिस रातों रात उनको खाली करने का आदेश दिया गया है, जिससे उनकी रातों की नींद उड़ गई है. अपने परिवार और अपने बच्चों के साथ रहती हैं. लेकिन नोटिस मिलने के बाद वह यह सोच रही हैं कि आखिर वह जाएं तो जाएं कहां. आए दिन पुलिस और प्रशासन के लोग उनको मकान खाली करने का आदेश दे रहे हैं.

आजतक ने जब इस मामले पर राज्य सैनिक बोर्ड के अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने बिना कैमरे पर आए हमें यह बताया कि यह फ्लेक्स एक्स आर्मी मैन स्कोर मैच 5 साल के लिए रहने के लिए दिए गए थे. ना कि उनके परिवार वालों के रहने के लिए. उनका कहना है कि  2013 में हाईकोर्ट ने इन फ्लैटों में रहने वाले लोगों को इवेक्युएशन करने का आदेश भी दिया था. जिस आदेश पर अब कार्यवाही की जा रही है.

लेकिन सवाल उठना लाजमी है कि जब 5 साल के लिए फ्लैट इन लोगों के लिए दिए गए थे तो 52 साल से इन फ्लैटों में रह रहे थे और 52 साल तक सरकार और प्रशासन इस मामले पर क्यों नहीं जागा. अब इन पूर्व सैनिकों के परिवार वालों की सरकार से यही मांग है कि वो उनके आशियाने को इनसे ना छीने.

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