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एमसीडी स्कूलों में बैठने के लिए बेंच नहीं, बच्चों से काम भी करवाता है स्कूल

जहांगीरपुरी वॉर्ड के एमसीडी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बेंच ही नहीं है. छोटे बच्चे ठंडे फर्श पर बैठने को ही मजबूर हैं. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 26 हजार बच्चे एमसीडी के स्कूलों में जमीन पर बैठते हैं. बी ब्लॉक स्थित यह स्कूल सिर्फ एक बानगी भर है जहां पहली से चौथी क्लास तक के करीब 600 बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं.

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प्राथमिक बाल बालिका विद्यालय की बदहाल स्थिति (फोटो-रामकिंकर)
प्राथमिक बाल बालिका विद्यालय की बदहाल स्थिति (फोटो-रामकिंकर)

दिल्ली के जहांगीरपुरी में संत रविदास नगर के-ब्लॉक में नगर निगम प्राथमिक बाल बालिका विद्यालय है जहां ठंड के मौसम में भी पहली से चौथी क्लास के करीब 600 बच्चे टाट-पट्टी पर बैठने को मजबूर हैं. बच्चों को ठंड न लगे इसके लिए स्कूल ने सिर्फ डबल टाट-पट्टी कर दी है. हालांकि खिड़कियों के टूटे हुए शीशों से ठंडी हवा कमरों में प्रवेश कर मासूमों को कंपा रही है. साथ ही क्लास खत्म होने के बाद बच्चों से सफाई का काम भी करवाया जाता है.

जहांगीरपुरी वॉर्ड के एमसीडी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बेंच ही नहीं है. छोटे बच्चे ठंडे फर्श पर बैठने को ही मजबूर हैं. एक आंकड़े के मुताबिक करीब 26 हजार बच्चे एमसीडी के स्कूलों में जमीन पर बैठते हैं. बी ब्लॉक स्थित यह स्कूल सिर्फ एक बानगी भर है जहां पहली से चौथी क्लास तक के करीब 600 बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं.

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19 स्कूलों में बच्चे पिछले 10 साल से टाट-पट्टी पर ही बैठने को मजबूर हैं. पार्षद पूनम बागड़ी का कहना है कि कई बार अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी अब तक इन स्कूलों के लिए बेंच नहीं मिले. जहांगीरपुरी वॉर्ड के 6 स्कूलों में करीब 19,400 बेंच की जरूरत है.

एक अध्यापिका ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ये बच्चे तो यूनिफार्म ही नहीं पूरे पहने होते हैं, हम इनके मां-बाप को डबल कपड़े पहनाने को कहते हैं, जिससे इन्हें ठंड ना लग जाए पर ये नहीं मानते.

सी ब्लॉक स्थित निगम स्कूल की हालत तो और खस्ता है. स्कूल छूटा नहीं की बच्चे टाट-पट्टी क्लास रूम से बाहर के कमरे में रखने जा रहे हैं. लड़कियां क्लास रूम की सफाई कर रही हैं. बच्चे कुर्सी ढोने को मजबूर हैं और अपने सिर पर टेबल लेकर जा रहे है. कई बच्चे कूड़े की बाल्टी को डस्टबिन तक ले जाते देखे गए. वो भी सरेआम टीचर्स की आंखों के सामने, लेकिन किसी ने भी बच्चों को नहीं रोका. ऐसा लगता है कि मासूसों की ये रोज की आदत हो, लेकिन सवाल है आखिर बच्चे ऐसा करने को क्यों मजबूर हैं?

पूरे मामले पर जब हमने नॉर्थ एमसीडी के मेयर आदेश गुप्ता से बात की तो उनका कहना था कि करीब 15 हजार बेंच का टेंडर हो चुका है. उन्होंने दावा किया कि जल्दी ही बेंच स्कूलों में आ जाएंगे. नॉर्थ एमसीडी मेयर ने बच्चों से काम करवाने वालों पर कार्रवाई की बात कही है.

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