दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसमें प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू में 80 फीसदी बेड को कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व रखने के लिए कहा गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार का आदेश आर्टिकल 21 का उल्लंघन है, और प्रथम दृष्टया इस आदेश में दिल्ली सरकार की मनमानी नजर आती है. कोर्ट ने कहा है कि कोरोना को प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड रिजर्व करने की वजह नहीं बनाया जा सकता है.
दिल्ली सरकार की तरफ से 12 सितंबर को आदेश जारी किया गया था जिसमें राजधानी के 33 प्राइवेट अस्पतालों को सरकार ने इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए थे. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने याचिका दाखिल कर दी.
हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले दोबारा से बढ़ने लगे हैं और इनसे निपटने के लिए ही सरकार की तरफ से प्राइवेट अस्पतालों के लिए आईसीयू बेड को 80 फीसदी तक रिजर्व करने के आदेश दिए गए हैं.
लेकिन हाईकोर्ट सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा. कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में अगर 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व कर दिए जाएंगे तो बाकी उन मरीजों का क्या होगा जिनकी हालात बेहद गंभीर है और उन्हें आईसीयू में बेड की जरूरत है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
दिल्ली सरकार देगी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
वहीं, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि 80 फीसदी बेड अगर कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व किए जाते हैं तो ऐसे में अस्पतालों को चलाना बेहद मुश्किल होगा. 80 फीसदी बेड रिजल्ट करने का मतलब है कि डॉक्टरों का 80 फीसदी स्टाफ भी कोरोना का इलाज करने के लिए सक्षम होना चाहिए, जो फिलहाल नहीं है. इसके अलावा एक ही अस्पताल में एक ही आईसीयू में कोविड और नॉन कोविड मरीजों को एक साथ रखना भी खतरनाक स्थिति है. इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा उन मरीजों में और बढ़ जाएगा जो गंभीर रूप से बीमार हैं लेकिन कोविड के मरीज नहीं हैं.
दिल्ली सरकार का आदेश ऐसे गंभीर रूप से बीमार नॉन कोविड मरीजों के मौलिक अधिकारों का हनन है. याचिकाकर्ता और सरकार दोनों का पक्ष सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है यानी सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक के बाद 33 प्राइवेट हॉस्पिटल पर अब 80 फीसदी आईसीयू बेड रिजर्व करना अनिवार्य नहीं होगा. दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को करेगा. दिल्ली हाईकोर्ट के मंगलवार के फैसले को दिल्ली सरकार चुनौती देगी.
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